नीरज कुमार/ बेगूसराय: बड़ी चीजों की शुरुआत अक्सर छोटे-छोटे कदमों से ही होती है. इस बात को सही साबित करने के असंख्य उदाहरण पड़े हुए हैं. इंटीरियर डिजाइनिंग के क्षेत्र में काम कर रहे मधुसूदन सिंह की कंपनी भी ऐसे उदाहरणों में से एक है. आज मधुसूदन सिंह की कंपनी पीआर इंटरप्राइजेज का कारोबार महीने के 25 लाख से ज्यादा है और यह बिहार के अलावा बंगाल, सिक्किम, झारखंड और यूपी के कुछ जिलों में फैला हुआ है. लेकिन इसकी शुरुआत भी बेहद मामूली हुई थी. इस कंपनी को स्थापित हुए महज़ तीन वर्ष हुए हैं. इस कंपनी के संचालक की पहचान बेगूसराय जिला में युवा कारोबारी के रूप में हो रही है.
60 रुपए में दिल्ली और गुजरात में किया काम
बेगूसराय जिला के भगवानपुर प्रखंड अंतर्गत जोगिया के रहने वाले रोहित सिंह के 29 वर्षीय पुत्र मधुसूदन सिंह ने साल 2012 में काम करने के लिए बिहार को छोड़कर दिल्ली चले गए. दिल्ली में कुछ दिन काम करने के बाद गुजरात में जाकर हेल्पर का काम 60 रुपए रोजाना के हिसाब से करने लगे. वहीं इंटीरियर डिजाइनिंग की बारीकियां को सीख. आगे चलकर मधुसूदन सिंह का मेहनत रंग लाने लगा. लॉकडाउन के पहले तक परिवार चलाने के लिए अच्छी कमाई हो जाती थी, लेकिन बचत के नाम पर कुछ नहीं हो पता था. हालांकि लॉकडाउन के चलते गुजरात से वापस आना पड़ा. हालांकि लॉकडाउन में घर वापसी में मधुसूदन सिंह की तकदीर बदल दी.
लॉकडाउन ने मधुसूदन सिंह को बनाया उद्योगपति
मधुसूदन सिंह ने बताया कि कोरोना के कारण लॉकडाउन के चलते प्रदेश में काम करने वाले असंख्य लोगों की नौकरी चली गई. इसके बाद गांव लौट के अलावा कोई और दूसरा चारा नहीं था. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन समाप्त होने के बाद प्रदेश जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए. हालांकि लॉकडाउन तकदीर का दरवाजा खोलने का भी काम किया. उन्होंने बताया कि 2020 में 3 हजार की पूंजी से इंटीरियर डिजाइनिंग का काम शुरू किया. शुरुआत के दिनों में अकेले काम किया, लेकिन आगे चलकर डिमांड मिलते गया और अपने कारोबार को आगे बढ़ाते गए. वहीं 2022 में बिहार और आस-पास के राज्यों में मकान निर्माण में तेजी आई तो इनके द्वारा बनाए इंटीरियर डिजाइनिंग की सामग्री सस्ता होने की वजह से डिमांड बढ़ने लगा. काम का रफ्तार भी बढ़ गया.
25 से 30 लाख है महीने का टर्नओवर
मधुसूदन सिंह ने बताया कि उनके कंपनी में इंटीरियर डिजाइन के सामग्री के निर्माण में 40 मजदूर लगे हुए हैं, जो सामान बनाने से लेकर बाजार में पहुंचाने व माप लेने तक का काम करते हैं. यहां काम कर रहे शैदिउल इस्लाम ने बताया कि यूवीसी बनाने का काम करते हैं और हर माह 15 हजार की कमाई कर लेते हैं. वहीं मधुसूदन सिंह ने बताया कि हर माह 25 से 30 लाख का टर्नओवर है. वहीं कमाई को लेकर बताया कि बेगूसराय में रहकर आमदनी बताना अपराध को बुलावा देने जैसा है. आपको बता दें कि बेगूसराय में नए उद्योग नहीं लगने और उद्योग लगने के बावजूद भी अपनी सफलता की कहानी नहीं बताने के पीछे सबसे बड़ा कारण जिले का आपराधिक ग्राफ है.
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FIRST PUBLISHED : September 25, 2023, 12:45 IST