अरशद खान/देहरादून.उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में स्थित टपकेश्वर महादेव मंदिर को भगवान शिव का दर्शन स्थान माना गया है. यहां की भव्यता और दिव्यता ऐसी है कि देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी शिवभक्त और पर्यटक भगवान के दर्शन को यहां आते हैं. मंदिर में जहां एक ओर चमत्कारी शिवलिंग स्थित है, जिस पर जल की निरंतर धारा गिरती रहती है, वहीं दूसरी ओर मंदिर में एक ऐसा अलौकिक शिवलिंग भी है, जिसको 5551 रुद्राक्ष से बनाया गया है. इसको भगवान टपकेश्वर का रुद्राक्षमय दर्शन भी कहा जाता है. रुद्राक्षमय शिवलिंग भगवान शिव के रुद्र स्वरूप के दर्शन कराता है और भक्तों के लिए अद्भुत दर्शन का केंद्र होता है.
Local 18 से बातचीत में टपकेश्वर महादेव मंदिर के भरतगिरी महाराज कहते हैं कि एक रोज शाम को बाबा की आरती करने के बाद वह बैठे हुए थे, उन्होंने अपने हाथ में रुद्राक्ष की माला पहनी थी, जो उन्हें शिवलिंग के रूप में प्रतीत हुई. इसके बाद उनके मन में बाबा का रुद्राक्षमय शिवलिंग बनाने की इच्छा हुई. उन्होंने शिवलिंग बनाना शुरू किया. वह शिवलिंग को तब तक बनाते रहे, जब तक उसे एक स्वरूप नहीं मिला. इस बीच सैकड़ों बार आकृति को बनाना पड़ा और तोड़ना पड़ा. शिवलिंग की आकृति पूरी होने के बाद उनके मन में बाबा को हरिद्वार गंगा स्नान कराने की इच्छा हुई. हरिद्वार में गंगा स्नान के बाद पहली बार आसपास के लोगों ने रुद्राक्षमय शिवलिंग के दर्शन अपने घरों से निकलकर किए. कुछ लोगों ने महाराज जी से हर साल बाबा की यात्रा की गुजारिश की, जहां से टपकेश्वर महादेव मंदिर शोभा यात्रा का शुभारंभ हुआ.
2002 में हुआ शोभायात्रा का शुभारंभ
हर साल भव्य रूप से निकलने वाली टपकेश्वर महादेव मंदिर की शोभायात्रा का सिलसिला साल 2002 में शुरू हुआ था. यह सिलसिला 2001 में शुरू होना था लेकिन गुजरात में गोधरा कांड की वजह से बाबा का श्रृंगार देहरादून नहीं पहुंच पाया, जिसकी वजह से 2002 में शोभायात्रा का शुभारंभ हुआ. आज यह शोभायात्रा देहरादून में निकलने वाली सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा के रूप में जानी जाती है.
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FIRST PUBLISHED : January 19, 2024, 15:20 IST