आदित्य आनंद/गोड्डा. गोड्डा के महागामा का ऐतिहासिक दुर्गा मंदिर जिले में विख्यात है. इस मंदिर की इमारत क़रीब 500पुरानी है. जिसमें आज भी पौराणिक काल के कई राज छिपे हैं. जानकार कहते हैं कि इस मंदिर को तकरीबन 500 वर्ष पहले स्टेट राजा माल ब्रह्म के द्वारा बनवाया गया था. जिसका देखरेख आज भी राजा के वंशज के द्वारा किया जाता है. इस मंदिर में आज भी पौराणिक काल से परंपरा के मुताबिक तांत्रिक विधि से पूजा की जाती है.
राजा के वंशज दयाशंकर ब्रह्म ने कहा कि मंदिर के दस्तावेजों में मंदिर के निर्माण की तिथि सन 1575 अंकित की गई है. लेकिन यह मंदिर उससे भी पहले का बना हुआ है. इस मंदिर में मौजूद मां भगवती इस घराने की कुलदेवी है. जहां हर दुर्गा पूजा को बड़ी धूमधाम से मां पूजा की जाती है.
1972 से इस मंदिर में हो रहा है पूजा
मंदिर में पूजा करने वाले पुरोहित जय शंकर शुक्ला ने कहा कि वह पिछले 1972 से इस मंदिर में पूजा करते आ रहे हैं. इससे पहले उनके पूर्वज इस मंदिर के पुरोहित हुआ करते थे. इस मंदिर के इमारत में बनी कई कलाकृति व नक्कासियां में कई राज छिपे हैं. जिनका पता आज तक किसी को ना लगा. इसके साथ इस मंदिर के पश्चिम दीवार पर पुराने इतिहासकार के द्वारा कुछ लिखा भी गया है. जिसे आज तक कोई नहीं पढ़ पाया है.
इतिहासकार के द्वारा कुछ लिखा गया
उन्होंने बताया कि जब बिहार झारखंड एक हुआ करता था तो पटना के जियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया से टीम भी आई थी जिन्होंने इस मंदिर के पूरे इतिहास के बारे में पता लगाया था और इस लेखनी के बारे में उनके द्वारा फोटो ग्राफी कर रिपोर्ट भेजा गया था. लेकिन अब तक इसकी जानकारी किन्हीं को नहीं हुई की इस लेखनी का अर्थ क्या है. अगर इस लिखने का अर्थ पता चल जाए तो इस मंदिर के इतिहास के बारे में कई चीजे सामने आ सकती हैं मंदिर के कई जगहों पर इस प्रकार की लेखनी लिखी हुई है लेकिन इसका पता अब तक किन्हीं को नहीं चल पाया है.वही मंदिर के अंदर की कलाकृति और नक्काशियो की बात करें तो इस प्रकार की नकाशियां महागामा के इस मंदिर के अलावा अन्य कहीं भी आसपास के मंदिरों में देखने को नहीं मिलती हैं जिसकी खूबसूरती आज भी लोगों को आकर्षित करती है.
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FIRST PUBLISHED : October 16, 2023, 19:28 IST