5 साल तक तोड़े पत्थर, इस शख्स ने चट्‌टानों को हटाकर बनाए खेत, अब इतनी कमाई

रवि सिंह/विदिशा: आपने ‘मांझी द माउंटेन मैन’ फिल्म तो देखी ही होगी, उसमें एक डायलॉग है ‘जब तक तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं’ यह डायलॉग इसलिए भी फेमस हुआ, क्योंकि मांझी ने पहाड़ तोड़कर रास्ता बनाया था और अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने अपनी कहानी कही थी, जिसे दुनिया आज भी सलाम करती है.

आज हम बात कर रहे हैं विदिशा के एक ऐसे युवा की, जिसने चट्टानों को तोड़कर पथरीली जमीन को हरा-भरा बना दिया. विदिशा के पास ही सोठिया के रहने वाले मुकेश मेहरा ने लगातार 5 सालों तक मेहनत कर पथरीली जमीन पर खेत बना दिए और आज वह महीने के 40 हजार से 50 हजार तक कमा रहे हैं.

रोचक है संघर्ष के पीछे की कहानी
मुकेश बेहद गरीब परिवार से आते हैं. पिता दिहाड़ी मजदूरी किया करते थे और उनकी माता भी मजदूर थी. मुकेश ने 2015 में 12वीं कक्षा पास की, इसके बाद उन्होंने पास ही के एक प्राइवेट कॉलेज में दाखिला कराया, लेकिन अचानक उनके पिता को लकवा लग गया, जिसके कारण वह पूरी तरह अपाहिज हो गए. इस कारण गरीबी और घर की माली हालत और बिगड़ गई.

किस्तों पर खरीदी पथरीली जमीन
परिवार को मुश्किलों में देखते हुए मुकेश ने स्वयं कुछ करने का सोचा, जिसके लिए उन्होंने अपने ही गांव में बंजर पड़ी जमीन को किस्तों पर खरीदा, जो लगभग 80 डेसिबल होगी. साथ ही जमीन की किस्त चुकाने के लिए वेल्डिंग का काम किया. इस आमदनी से अपने परिवार को चलाया और किस्तों को भी चुकाया.

चट्टानों से भरी थी जमीन
जमीन बंजर और बड़ी-बड़ी चट्टानों एवं पत्थरों से भरी हुई थी, जिस जमीन पर कोई भी आम व्यक्ति किसी भी प्रकार का कोई काम नहीं कर सकता था. इस तरह की खस्ताहाल भूमि पर मुकेश ने मेहनत कर अपनी माली हालत को सुधारने के सपने देखना शुरू कर दिया. लेकिन, मुश्किल की बात तो यह थी कि इस भूमि पर मौजूद इतनी बड़ी चट्टानों को देखकर कोई भी बुलडोजर या जेसीबी वाला उनकी मदद करने को तैयार नहीं था.

फिर खुद उठाया हाथौड़ा
मुकेश मेहरा के हौसले बेहद बुलंद थे, उन्होंने खुद अपने बाहुबल और छेनी-हथोड़े से जमीन पर मौजूद अनावश्यक पत्थर एवं चट्टानों को तोड़ना एवं हटाना प्रारंभ कर दिया. जिसके लिए उन्होंने खुद ही पुरजोर मेहनत की. 2016 से लेकर 2021 तक लगातार 5 वर्षों तक कठिन परिश्रम करने के बाद जमीन को खेती योग्य उपयोगी बना लिया. इसके पश्चात उन्होंने जैविक खेती करने के लिए अपने खेत को उपजाऊ बनाया. यह भूमि पूरी तरह खेती के लिए तैयार कर ली गई. खेती से अपनी पारिवारिक स्थिति भी सुधारी और अब उनके पिता राजू मेहरा भी ठीक हैं और उनकी पढ़ाई भी पूरी हो गई है.

Tags: Local18, Mp news, Success Story

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *