हिमांशु जोशी/पिथौरागढ़.अगर आप कुमाऊं से हैं तो आपने एक सुप्रसिद्ध कुमाऊंनी गाना जरूर सुना होगा ‘ममता जलेबी मा मेरो मन लागी रो टकाटक. आज हम बात कर रहे हैं ममता जलेबी की जो पिथौरागढ़ के वड्डा बाजार की मशहूर जलेबी की दुकान का नाम है. यहां की जलेबी के स्वाद का हर कोई कायल है. झूलाघाट पिथौरागढ़ रोड पर वड्डा में पिछले 48 सालों से जलेबी बनते आ रही है जिसको लेने के लिए लोग बढ़ी दूर से ममता जलेबी में पहुंचते है.
दुकान की लोकप्रियता इतनी ज्यादा है कि इस सड़क से गुजरने वाले लोग यहां रुककर अपने साथ जलेबी जरूर ले जाते हैं. इसे खास बनाता है जलेबी बनाने का वहीं पुराना तरीका, लकड़ी के चूल्हे में चटक लाल रंग और मीठे के साथ हल्की खटास का स्वाद यहां लोगों को खूब भाता है.
1974 से बेच रहे जलेबी
ममता जलेबी की शुरुआत 1974 मे सुवाकोट निवासी गोपाल सिंह द्वारा वड्डा में की गई. ईमानदारी और घुलनशील व्यवहार के चलते धीरे धीरे इनके द्वारा बनाई जलेबी की मिठास पूरे क्षेत्र में लोकप्रिय होने लगी.वड्डा क्षेत्र में लगने वाले मेलों के दिन आप यहां जलेबी लेने के लिए लोगो की लंबी कतार भी देख सकते हैं.
स्वाद के दीवाने लोग
दिसम्बर 2013 को गोपाल सिंह का निधन हो गया जिसके बाद उनके रिश्तेदारों ने उनकी इस विरासत को आगे बढ़ाया. यहां जलेबी के कारीगर हैं गणेश सिंह जिन्होंने बताया कि वो पिछले 25 सालों से यहां जलेबी बनाते आ रहे हैं.उन्होंने कहा कि लकड़ी के चूल्हे में देशी घी में बनी जलेबी इसकी लोकप्रियता की वजह है.
कुछ समय पहले जब वड्डा बाज़ार के बीचों बीच होकर जाने वाली सड़क का चौड़ीकरण हुआ तो ममता जलेबी भी इस चौड़ीकरण की जब्त में आ गया. कुछ समय तक यह दुकान बंद रही. लेकिन लोगों के प्रेम और शुभचिंतकों के आग्रह पर इसे पुनः शुरु किया गया.
जलेबी की अलग पहचान
वर्तमान में पिथौरागढ़ झूलाघाट रोड पर वड्डा बाज़ार के शुरुआत में ही बांये हाथ की ओर ममता जलेबी की छोटी सी विरासत मौजूद है और लगातार 48 सालों से लोगों की जिंदगी में जलेबी की मिठास घोलने का काम ममता जलेबी द्वारा किया जा रहा है. यहां जलेबी लेने आये दीपक जोशी का कहना है कि ममता जलेबी पूरे वड्डा क्षेत्र की एक विशेष पहचान है जिसका स्वाद वह बचपन से लेते आ रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 14, 2023, 17:24 IST