नीरज कुमार/बेगूसराय. आजकल किसान अपनी आय को बढ़ाने के लिए अलग-अलग तरह के व्यवसायों की ओर तेजी से रुख कर रहे हैं. इसी कड़ी में बहुत से किसानों ने गाय और भैंस पालन छोड़कर मुर्गी पालन शुरू कर दिया है. यह उनके लिए नया और लाभकारी विकल्प बनते जा रहे हैं. दरअसल, अब तक आपने मुर्गा पालन और इससे जुड़े अन्य व्यवसायों पोल्ट्री फार्म के बारे में सुना होगा. लेकिन, इसमें मोटे इन्वेस्टमेंट के बाद ही मुनाफा होता है. इस वजह से अधिकतर लोग इस व्यवसाय में कदम नहीं रख पाते हैं. लेकिन इन दिनों बाजार में देसी मुर्गा के मीट की बढ़ती डिमांड से छोटे और सीमांत पशुपालक भी इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं.
बेगूसराय जिले के भगवानपुर प्रखंड के महेशपुर वार्ड-5 निवासी मुकेश पासवान की पत्नी संगीता देवी पहले भैंस पालती थी. इस काम को छोड़कर उसने व्यावसायिक तौर पर देसी मुर्गी का पालन शुरू किया. संगीता ने बताया कि उसने जीविका के आईपीडीएस थर्ड फेज की योजना के तहत 450 रुपए खर्च कर 25 देसी मुर्गाे लिए और उसे पालना शुरू किया. उसके पास कड़कनाथ, सोनाली और एफएफजी प्रजाति के देसी मुर्गाे और मुर्गी हैं. इसमें से मुर्गा को वह मीट के रूप में बेच लेती हैं. जबकि मुर्गी से अंडा और चूजे तैयार कर अपने कारोबार को आगे बढ़ा रही है. अब तो गांव की अन्य महिलाएं भी संगीता से देसी मुर्गी पालन के गुर सीखने आती है. जीविका के गणेश कुमार ने बताया कि इनके मुर्गा की देखभाल के लिए जीविका से जुड़े चिकित्सक इन्हें मुफ्त में मदद करते हैं.
रोजाना 2 हजार से ज्यादा की आमदनी
संगीता देवी ने बताया कि वह पिछले एक साल से देसी मुर्गा पालन कर रही है. 25 मुर्गी से उसने काम शुरू किया था. अब उसके फार्म में 100 मुर्गी हैं. बाजार में देसी मुर्गी के अंडे की कीमत 20 रुपए तक मिल जाती है. ऐसे में इन दिनों रोजाना 200 रुपए का अंडा और चार-पांच किलो मुर्गा का मीट बेच लेती है. इससे रोजाना 2 हजार से 2500 रुपए तक की कमाई हो जा रही है.
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FIRST PUBLISHED : March 11, 2024, 20:10 IST