कैलाश कुमार/बोकारो. फुटबॉल खेलना आसान नहीं. अपनी फुर्ती की वजह से ही एक फुटबॉलर इस खेल में कमाल करता है. लेकिन, झारखंड के एक फुटबॉलर ने अपनी फुर्ती का इस्तेमाल खेल में करने के बजाय लोकनृत्य में किया. 40 साल पहले इस फुटबॉलर ने फुटबॉल को अलविदा कह छऊ नृत्य शुरू किया और ऐसा हुनर दिखाया कि अब राष्ट्रपति उसको सम्मानित करेंगी.
बोकारो के चंदनकियारी प्रखंड के खेड़ाबेड़ा गांव के प्रतिष्ठित छऊ लोक नृत्य कलाकार परीक्षित महतो का चयन साहित्य नाटक अकादमी पुरस्कार 2023 के लिए हुआ है. यह सम्मान छऊ नृत्य के विकास और उनके योगदान को देखते हुए 6 मार्च 2024 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा दिया जाएगा. परीक्षित महतो ने Local 18 को बताया कि छऊ नृत्य झारखंड की प्रमुख लोक कला है, इसमें पुरुष मुखौटा धारण कर धार्मिक घटनाओं जैसे रामायण, महिषासुर मर्दिनी, गणेश-कार्तिकेय युद्ध आदि का प्रदर्शन करता है.
इसलिए छोड़ा फुटबॉल
वहीं साहित्य नाटक अकादमी सम्मान को लेकर वह बेहद खुश हैं, क्योंकि इस सम्मान के बाद छऊ कलाकारों को अपने लोक परंपरा और संस्कृति को देशभर में पहचान मिलेगी और इससे दुसरे छऊ कलाकार प्रोत्साहित होंगे. परीक्षित महतो ने बताया कि 1982 से छऊ नृत्य से जुड़े. उन्हें शुरुआती दिनों में फुटबॉल खेलना बहुत अधिक पसंद था, लेकिन जब उन्होंने छऊ कलाकारों को हैरतअंगेज कलाकारी करते देखा तभी से उन्हें छऊ नृत्य कला से लगाव हो गया.
युवाओं को सिखा रहे छऊ नृत्य
वहीं छऊ नृत्य के प्रशिक्षण को लेकर परीक्षित ने बताया कि धनंजय महतो से छऊ नृत्य कला सीखी और अब वह 30 वर्षों से गांव के युवाओं को छऊ नृत्य कि ट्रेनिंग दे रहे हैं. फिलहाल वह चंदनकियारी के छऊ नृत्य एवं अनुसंधान केंद्र में युवाओं को छऊ नृत्य सिखाते हैं. साहित्य नाटक अकादमी के पुरस्कार का श्रेय उन्होंने छऊ प्रेमी और अपने परिवार के लोगों को दिया है, जिन्होंने हमेशा छऊ लोक नृत्य के प्रति उनका समर्थन और प्रोत्साहित किया.
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FIRST PUBLISHED : March 4, 2024, 13:42 IST