40 जिंदगियों को बचाने की राह में फिर मुसीबत, टनल में 24 मीटर के बाद बोरिंग का काम रुका, यह है वजह

नई दिल्ली: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग के ढहने से मलबे में फंसी 40 जिंदगियां अब भी राहत की सांस का इंतजार कर रही हैं. 40 लोगों को सुरक्षित बचाने के लिए बोरिंग काम तेज गति से चल रहा था, मगर अचानक बोरिंग मशीन का किसी अन्य मशीन से एनकाउंटर होने के बाद यह काम अब रुक गया है. उत्तरकाशी में 24 मीटर के बाद बोरिंग का काम रुक गया है और इस समस्या से निपटने के लिए जियोफिजिकल, पेयजल निगम के एक्सपर्ट्स बुलाए गए हैं.

दरअसल, सिलक्यारा सुरंग में नई और शक्तिशाली ऑगर मशीन ने शुक्रवार सुबह तक 24 मीटर मलबे को भेद दिया, जिससे पिछले पांच दिनों से अधिक समय से उसके अंदर फंसे 40 श्रमिकों के जल्द बाहर आने की उम्मीद बढ़ गई थी, मगर 24 मीटर बाद ही बोरिंग का काम रोक दिया गया. सिलक्यारा में बने उत्तरकाशी जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार, सुरंग में जमा मलबे में सुबह छह बजे तक 24 मीटर की दूरी तक ‘ड्रिलिंग’ हो चुकी थी. सुरंग में 45 से 60 मीटर तक मलबा जमा है जिसमें ड्रिलिंग की जानी है.

योजना यह है कि ड्रिलिंग के जरिए मलबे में रास्ता बनाते हुए उसमें 800 मिमी और 900 मिमी व्यास के कई बड़े पाइप को एक के बाद एक इस तरह डाला जाएगा कि मलबे के एक ओर से दूसरी ओर तक एक वैकल्पिक सुरंग बन जाए और श्रमिक उसके माध्यम से बाहर आ जाएं. इससे पहले, मंगलवार देर रात एक छोटी ऑगर मशीन से मलबे में ड्रिलिंग शुरू की गयी थी, लेकिन इस दौरान भूस्खलन होने से काम को बीच में रोकना पड़ा था. बाद में वह ऑगर मशीन भी खराब हो गयी थी.

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इसके बाद भारतीय वायुसेना के सी-130 हरक्यूलिस विमानों के जरिए 25 टन वजनी बड़ी, अत्याधुनिक और शक्तिशाली अमेरिकी ऑगर मशीन दो हिस्सों में दिल्ली से उत्तरकाशी पहुंचाई गयी जिससे बृहस्पतिवार को दोबारा ड्रिलिंग शुरू की गयी. अधिकारियों ने बताया कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को लगातार खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा, उन्हें ऑक्सीजन, बिजली, दवाइयां और पानी भी पाइप के जरिए निरंतर पहुंचाया जा रहा है.

श्रमिकों से निरंतर बातचीत जारी है और बीच-बीच में उनकी उनके परिजनों से भी बात कराई जा रही है. उत्तरकाशी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएस पंवार ने कहा कि सुरंग के पास एक छह बिस्तरों का अस्थाई चिकित्सालय तैयार कर लिया गया है. उन्होंने बताया कि मौके पर 10 एंबुलेंस के साथ कई मेडिकल टीम भी तैनात हैं ताकि श्रमिकों को बाहर निकलने पर उनको तत्काल चिकित्सकीय मदद दी जा सके.

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हर मौसम के अनुकूल चारधाम सड़क परियोजना के तहत निर्माणाधीन सुरंग का सिलक्यारा की ओर के मुहाने से 270 मीटर अंदर एक हिस्सा रविवार सुबह ढह गया था जिसके बाद से उसमें फंसे 40 श्रमिकों को निकालने का प्रयास किया जा रहा है.

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