300 वर्षों से अयोध्या में चली आ रही है ये परंपरा, रविवार को प्रभु राम माता सीता के साथ लेंगे सात फेरे

सर्वेश श्रीवास्तव/अयोध्या: मंदिर और मूर्तियों के शहर अयोध्या में लगभग 8000 मठ मंदिर है और हर मठ-मंदिर की अपनी अलग परंपरा अलग मान्यता है. रामनगरी में इस दिनों सीताराम विवाह महोत्सव की धूम है. साल 2023 में विवाह पंचमी 17 दिसंबर रविवार के दिन मनाई जाएगी. रामनगरी में एक ऐसा भी मंदिर है जहां पर सीता जी की उपासना को प्रधानता दी जाती है. यानी कि जहां प्रथम पूजा सीता जी की जाती है. वहां के पुजारी भी भगवान राम लला को दूल्हा सरकार मानते है और मां जानकी को अपनी बहन का दर्जा देते है.

आज भी रंग महल में ढाई सौ वर्षो से एक प्राचीन परंपरा चली आ रही है. जहां पर प्राचीन विधि से आज भी राम जानकी विवाह को संपन्न कराया जाता है. रामलला की नगरी में भगवान राम लला के विवाह महोत्सव की धूम है तो वहीं रंग महल मंदिर में सीताराम विवाह को लेकर आज भी प्राचीन परंपरा का निर्वहन किया जाता है. लगभग तीन सौ वर्षो में भगवान के मंदिर में पूजन-अर्चन का दौर आज भी नियमित किया जाता है. जहां मां जानकी को प्रधानता देते हुए भगवान को दूल्हा सरकार मानते हैं और इतना ही नहीं यहां का पुजारी अपने माथे पर आंचल लेकर आज भी भगवान की सेवा और पूजा करता है.

विवाह पंचमी पर परिणय सूत्र में बंधे थे श्री राम-जानकी
श्री सीताराम विवाह को इस बार और भव्यता और दिव्यता दिया जा रहा है क्योंकि प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर भगवान राम लला 22 जनवरी को भव्य मंदिर में विराजमान होंगे. राम लला के प्राण प्रतिष्ठा के पहले पड़ने वाली विवाह पंचमी को भगवान राम माता जानकी के साथ परिणय सूत्र में बंधेंगी. हर एक उस रिवाज का निर्वाह किया जाएगा जो एक कन्या के विवाह में किया जाता है. सभी तरीके के विवाह संबंधी रिवाज को निभाया जाएगा फिर चाहे वह मेहंदी की रस्म हो हल्दी की रस्म हो या फिर कुंवर कलेवा तो इस बार राम मंदिर में पधारने का भी उत्साह राम विवाह में देखने को मिलेगा.

माता जानकी और भगवान राम को चढ़ेगी हल्दी
रंग महल मंदिर के महंत रामशरण दास बताते हैं कि रंग महल मंदिर में लगभग 300 वर्ष से राम विवाह की परंपरा चली आ रही है. आज भी अयोध्या के सभी मठ मंदिरों में परंपरा निभाई जा रही है. हिंदू-रीति रिवाज में जैसे शादी विवाह होता है वैसे ही रंग महल मंदिर में भगवान राम और माता जानकी का विवाह किया जाता है. जैसे पहले तेल पूजन का रस्म हल्दी का रस्म विवाह का रस्म कलेवा का रस्म इसके साथ ही तीन दिवसीय रामलीला का आयोजन भी होता है. इस वर्ष धूमधाम के साथ राम विवाह का आयोजन किया जाएगा क्योंकि प्रभु राम 22 जनवरी को विराजमान होने वाले हैं. लाखों की संख्या में भक्ति धाम नगरी अयोध्या पहुंचेंगे.

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