30 घंटे जनरल डिब्बे में सफर, फिर बिहार के 3 लाल ने जीता तीरंदाजी में ब्रॉन्ज

गौरव सिंह/भोजपुर. क्रिसमस से पहले बिहार को गिफ्ट मिला है. यह गिफ्ट बिहार की तीरंदाजी की टीम ने दिया. दरअसल, गुजरात के नाडियाड में आयोजित 67 वें राष्ट्रीय तीरदांजी स्कूल गेम्स अंडर 17 में बिहार टीम में शामिल भोजपुर के तीन खिलाड़ियों ने कांस्य पदक जीता है. 28 राज्यों के खिलाड़ी जिस गेम में भाग लिया, उस प्रतियोगिता में बिहार को तीसरा स्थान के साथ ब्रॉन्ज मेडल मिला. गुजरात में 16 से 18 दिसंबर तक आयोजित प्रतियोगिता में बिहार टीम के कोच नीरज कुमार ने बताया कि भोजपुर जिले के ही 3 खिलाड़ी गुजरात दौरे के लिए चुने गये थे.

इन खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा का दम दिखाया और कांस्य पदक जीतकर बिहार व भोजपुर का मान बढ़ाया है. बिहार की टीम तीरंदाजी में राष्ट्रीय स्तर का पहला मेडल जीतने में कामयाबी पाई है. झारखंड से अलग होने के बाद पहली बार स्कूल गेम्स अंडर 17 बालक रिकर्व राउंड में ब्रॉन्ज मेडल मिला है.

इन तीन खिलाड़ियों ने दिखाया दम
भोजपुर जिले के खिलाड़ी धीरज कुमार रॉय और शुभम कुमार हाई नेशनल आर्चरी अकादमी के खिलाड़ी हैं और तीसरा भोजपुर तीरंदाजी एकेडमी का खिलाड़ी है. इनमें सामर्थ्य कुमार और शुभम कुमार का चयन खेलों इंडिया के लिए भी कर लिया गया है. अगले जनवरी में मध्य प्रदेश में होने वाले खेलो इंडिया में भी भोजपुर के ये दोनों खिलाड़ी अपना दम दिखायेंगे.

कांस्य पदक जीतने वाले खिलाड़ी शुभम कुमार ने बताया कि प्रतियोगिता बहुत चुनौतीपूर्ण थी. सभी राज्यों के खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया. महाराष्ट्र पहले पायदान पर रहा तो हरियाणा दूसरे स्थान और बिहार को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ. शुभम ने बताया कि महाराष्ट्र और हरियाणा के खिलाड़ी हम से ज्यादा अनुभवी थे. उन्हें वहां की सरकार के द्वारा संसाधन भी ज्यादा मिलता है.अगर हमें भी उचित संसाधन मिलने लगे तो किसी भी प्रतियोगिता में बिहार को गोल्ड ही आएगा.

30 घंटे जनरल डिब्बे से किया सफर
बिहार टीम के कोच नीरज सिंह ने बताया कि खिलाड़ियों के दिन रात की मेहनत के वजह से ये सम्भव हो पाया है. हालांकि आर्चरी खिलाड़ियों को देश के अन्य राज्यों में जितनी सुविधा मिलती है, उतनी हमारे राज्यों के खिलाड़ियों को नहीं मिलती है. इसका अंदाजा आप लगा सकते है की यहां से गुजरात बिहार के खिलाड़ी जनरल डब्बे में बैठ कर गए और इनके साथ हम खुद जनरल में गए.

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30 घंटे के सफर को हमलोग बैठ कर पूरा किया. वहां पहुंचने के बाद जाने का ट्रेन किराया खाते में आया. ऐसी सुविधा के बावजूद बिहार के खलाड़ी तीसरे पायदान पर आए और राज्य के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीते.

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