जबलपुर. जबलपुर के एक बैगा आदिवासी ने जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना से बच्चे पालने या पत्नी की नसबंदी करवाने की गुहार लगाई है. जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर बरेला विकास खंड के खैरी गांव में रहने वाला प्रेम बैगा संरक्षित जनजाति से है. वह अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ गांव में रहता है. प्रेम बैगा मजदूरी करके अपनी पत्नी और दो बच्चों का भरण पोषण कर रहा है. उसकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. मजदूरी करके बमुश्किल अपने परिवार को दो वक्त का खाना खिला पाता है. इसके अलावा उसके पास ना तो पक्का मकान है और ना ही शासन की किसी योजना का लाभ मिलता है. सरकार ने बैगा जनजाति को संरक्षित जनजाति की कैटेगरी में रखा है और देशभर में इन जनजाति की संख्या तेजी से घट रही है, ऐसे में सरकार की मंशा इस समुदाय की संख्या बढ़ाने की है लेकिन प्रेम बैगा बच्चे पैदा करने की बजाय पत्नी की नसबंदी करवाने की मांग कर रहा है.
उसका कहना है कि वह तीन साल से कलेक्टर ऑफिस के चक्कर लगा रहा है जहां अधिकारी उसे गुमराह कर रहे हैं. उसे ना तो शासन की योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है और ना ही किसी प्रकार से मदद की जा रही है. प्रेम बैगा और उसकी पत्नी दोनों ने शासन से मदद की गुहार लगाई गई है. वहीं कलेक्टर दीपक सक्सेना का कहना है कि बैगा जनजाति के परिवारों के लिए शासन स्तर पर कई योजनाएं संचालित हैं जिनका लाभ उन्हें मिल रहा है. अभी तक उनके पास ऐसा कोई मामला नहीं पहुंचा है लेकिन उसके परिवार और गांव की जानकारी लेकर उसकी मदद की जाएगी.
‘हम लोग गरीब स्थिति से गुजर रहे हैं’
प्रेम बैगा ने कहा, ‘हम लोग गरीब स्थिति से गुजर रहे हैं. हमें यह समझ में आ रहा है कि दो बच्चों का भरण-पोषण अच्छे से नहीं कर पा रहे हैं. इस वजह से हमें यह सोचना पड़ रहा है कि हम नसबंदी करवा लें
ताकि और बोझ न बढ़े. अगर सरकार नसबंदी नहीं करती है तो हमारे परिवार के भरण-पोषण का इंतजाम करे. योजनाओं का पता जरूर चल रहा है लेकिन हमें लाभ नहीं मिल रहा. गैस, मकान और शौचालय की योजना का लाभ अभी तक नहीं मिला है. हमारे पास कुछ नहीं है. छोटा सा कच्चा घर है. मजदूरी से गुजर-बसर नहीं हो पा रहा है.’
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और बच्चे करने के सवाल पर प्रेम ने कहा, ‘महंगाई इतनी ज्यादा है कि हम दो बच्चे से ज्यादा और बच्चे नहीं चाह रहे. अगर परिवार और ज्यादा बढ़ाया तो मेरी स्थिति और खराब हो जाएगी. दो बच्चे हैं और दोनों
आंगनबाड़ी में जाकर शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.’
‘दो बच्चे हैं, इतने मे ही संतोष है’
नसबंदी कराने की जिद की वजह पूछे जाने पर प्रेमा बैगा की पत्नी कमलावती ने कहा, ‘वजह कुछ नहीं, दो बच्चे हैं. इतने मे ही संतोष है. घर भी छोटा सा है. अगर परिवार बढ़ेगा, तो उनके लिए अलग घर चाहिए होगा. पढ़ाई-लिखाई के लिए भी पैसा चाहिए. हम कहां से पैसे लाएंगे. तीन साल से अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन नसबंदी नहीं हो पा रही हैं. अधिकारी कह रहे हैं कि मेरी नसबंदी नहीं होगी क्यूंकि मैं बैगा जनजाति की हूं.’
इस मामले में जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना का कहना है, ‘मेरे पास अभी तक ऐसी कोई सूचना नहीं आई है. सीएमएचओ से भी बात हुई है, उन्होंने भी ऐसी किसी सूचना से इनकार किया है. बैगा जनजाति में नसबंदी के ऑपरेशन के लिए कलेक्टर की अनुमति लगती है. अगर उनका आवेदन मिलता है तो उसकी जांच करा लेंगे और अनुमति दे देंगे.’
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FIRST PUBLISHED : March 2, 2024, 17:55 IST