3 साल में एक बार आती है यह अमावस्या, इस दिन भूलकर भी न करें ये काम, जानें कब है?

रामकुमार नायक/ महासमुंद: हिंदू धर्म में अधिकमास का महीना पूजा पाठ, जप, तप, दान के लिहाज से बहुत खास माना जाता है. खासकर अधिकमास अमावस्या और पूर्णिमा पर्व की तरह मनाई जाती है. अधिकमास की अमावस्या 3 साल बाद आती है.यही वजह है कि इस दिन किए गए पिंडदान, तर्पण और दान से सात पीढ़ियों तक पूर्वजों को तृप्ति मिलती है.

परिवार में दुःख दूर होकर खुशियों का आगमन होता है. तरक्की के रास्ते खुलते हैं. मान्यता है इस दिन कुंडली से पितृदोष संबंधी ग्रह दोष को दूर करने के लिए इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद और काला तिल चढ़ाना चाहिए. अधिकमास अमावस्या पर पितृसूक्त का पाठ करने से वैवाहिक जीवन में तनाव दूर होता है. इसके अलावा लंबी आयु और मृत्यु के भय को दूर करने के लिए इस दिन शिवलिंग पर सफेद आक का फूल, बेलपत्र, चढ़ाएं.

ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शुक्ला बताते हैं कि अमावस्या तिथि को विशेषकर पितरों के निमित्त मानी जाती है. इसलिए हमारे पंचांगकर्ताओं के अनुसार अमावस्या तिथि को विशेषकर जिस समय पितरों का समय होता है उसे कुतुब काल कहते हैं. पंचांग में इसका उल्लेख देव पितृ अमावस्या के नाम से रहता है. इस दिन पितरों को श्राद्ध और जल अर्पण करना चाहिए. इस बार यह तिथि 16 अगस्त को पड़ रहा है. इस दिन बड़े बड़े पुण्यदायी नदियों समुद्रों में स्नान करने से फल भी मिलता है. इसलिए इसे स्नान दान अमावस्या भी कहते हैं.

देव पितृ काल पितरों के लिए होता है और स्नान दान अपने शुभ कार्य की प्राप्ति के लिए होता है. इसलिए इस दिन स्नान के बाद यथा शक्ति दान भी करना चाहिए. इस दिन यात्रा करने से पहले पंचाग जरूर देखना चाहिए की किस दिशा में यात्रा नहीं करना चाहिए. यात्रा का समय तिथि अवश्य देख लेना चाहिए. शुभ कार्य में जाने से पहले उनके निषेध का निवारण करके जाना चाहिए.

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