3 शुभ योग में कार्तिक पूर्णिमा आज, स्नान-दान से होगी अक्षय पुण्य की प्राप्ति, जानें मुहूर्त-महत्व

हाइलाइट्स

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाती है.
सत्यनारायण व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 9:30 बजे से 10:49 बजे तक है.
प्रदोष काल में दीपदान का शुभ मुहूर्त शाम 5:24 बजे से रात्रि 7:05 बजे तक है.
पूर्णिमा तिथि के दिन सुबह 5:05 से सुबह 5:58 तक स्नान करना बेहद शुभ रहेगा.

Kartik Purnima snan 2023: कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाती है. इस दिन व्रत रखकर पूजा पाठ करते हैं. कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विधान है. इस बार कार्तिक पूर्णिमा स्नान पर 3 शुभ योग बन रहे हैं. इस साल कार्तिक पूर्णिमा 27 नवंबर दिन सोमवार को है. मान्यता है कि, कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. वैसे भी कार्तिक माह में स्नान का विशेष महत्व होता है, इसमें कार्तिक पूर्णिमा का स्नान अक्षय पुण्य देने वाला है. इस दिन स्नान के बाद आपको दान करना चाहिए. कार्तिक पूर्णिमा का दान करने से पुण्य मिलता है. आइए उन्नाव के ज्योतिषाचार्य पं. ऋषिकांत मिश्र शास्त्री से जानते हैं कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान का शुभ महूर्त और महत्व.

कार्तिक पूर्णिमा 2023 का मुहूर्त?

ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, कार्तिक पूर्णिमा 26 नवंबर दोपहर 3:53 बजे से शुरू होगी, जोकि अगले दिन 27 नवंबर दोपहर 2:45 बजे समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा 27 नवंबर को मनाई जाएगी और इसी दिन पूर्णिमा व्रत सत्यनारायण भगवान की पूजा और कार्तिक गंगा स्नान दान करना उत्तम रहेगा. इस दिन सत्यनारायण व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 9:30 बजे से 10:49 बजे तक है. इसके साथ ही प्रदोष काल में दीपदान का शुभ मुहूर्त शाम 5:24 बजे से रात्रि 7:05 बजे तक है. वहीं, पूर्णिमा तिथि के दिन सुबह 5:05 से सुबह 5:58 तक स्नान करना बेहद शुभ रहेगा. इस शुभ समय में स्नान करने से दोगुना लाभ होगा.

3 शुभ योग और कृत्तिका नक्षत्र में होगा कार्तिक पूर्णिमा स्नान

कार्तिक पूर्णिमा के दिन 3 यानी शिव योग, सिद्ध योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं. इस दिन शिव योग प्रात:काल से लेकर रात 11:39 बजे तक है. इसके बाद से सिद्ध योग अगले दिन तक रहेगा. पूर्णिमा वाले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर 01:35 बजे से शुरू होगा और 28 नवंबर को प्रात: 06:54 बजे तक रहेगा. कार्तिक पूर्णिमा को दोपहर 01:35 बजे तक कृत्तिका नक्षत्र है, उसके बाद से रोहिणी नक्षत्र है.

देवताओं के लिए कार्तिक पूर्णिमा महत्वपूर्ण कैसे?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी और देवता कार्तिक पूर्णिमा को शिव की नगरी काशी में गंगा नदी में स्नान करने आते हैं और शाम के समय में दीपक जलाते हैं. इस वजह से इस दिन को देव दीपावली के नाम से जानते हैं. यही वजह है कि इस दिन शुभ मुहूर्त में स्नान-दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.

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कार्तिक पूर्णिमा का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा को भगवान शिव ने असुरराज त्रिपुरासुर का वध किया था. इस वजह से कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं. इस दिन भगवान शिव की पूजा करते हैं. भगवान शिव की कृपा से देवों को त्रिपुरासुर के आतंक से मुक्ति मिली थी, इसलिए देवता कार्तिक पूर्णिमा को काशी नगरी में स्नान करने के बाद देव दीपावली मनाते हैं. हिंदुओं के अलावा सिखों के लिए भी कार्तिक पूर्णिमा का महत्व है. सिखों के पहले गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा को हुआ था. कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जयंती मनाई जाती है.

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