उदयपुर तथा मेवाड़—वागड क्षेत्र में आदिवासी परिवार किसी की मौत होने पर उसके लिए जिम्मेदार से मौताणा यानी मौत के बदल रकम की मांग करते हैं। मौताणे की राशि मिलने पर वह मामला दर्ज नहीं कराते। हालांकि मौताणे को कई दशक पहले अवैध घोषित कर दिया गया था लेकिन अभी भी आदिवासी परिवार ही नहीं, बल्कि आदिवासी नेता, यहां तक कि पुलिस भी मौताणे के जरिए मामले को सुलझाने में सहयोग करती है।
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