गौरव सिंह/भोजपुर. देशभर में 25 करोड़ लोग भोजपुरी बोलते हैं. यह प्राचीन भाषा में से एक है. बावजूद इस भाषा को संवैधानिक भाषा का दर्जा नहीं मिल पा रहा है. कई साल से भोजपुर के लोग अपनी भाषा को दर्जा दिलाने की मांग कर रहे है. पीढ़ी बदलती चली आई, लेकिन अब तक बिहारियों की ये महत्वपूर्ण और जरूरी मांग पूरी नहीं हुई. ना ही केंद्र के द्वारा इसे 8वीं अनुसूची में शामिल किया जा रहा और ना राज्य सरकार के द्वारा राजभाषा का दर्जा दिया जा रहा है. भोजपुरी भाषा से पीएचडी कर रहे रवि प्रकाश सूरज ने इस पर कई अहम जानकारी दी.
भोजपुरी भाषा का इतिहास
पीएचडी स्कॉलर रवि प्रकाश कहते हैं कि भोजपुरी शब्द का निर्माण बिहार का प्राचीन जिला भोजपुर के आधार पर पड़ा. जहां के राजा ‘राजा भोज’ ने इस जिले का नामकरण किया था. भाषाई परिवार के स्तर पर भोजपुरी एक आर्य भाषा है और मुख्य रूप से पश्चिम बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र में बोली जाती है. आधिकारिक और व्यावहारिक रूप से भोजपुरी हिन्दी की एक उपभाषा या बोली है. भोजपुरी अपने शब्दावली के लिये मुख्यतः संस्कृत और हिन्दी पर निर्भर है. कुछ शब्द इसने उर्दू से भी ग्रहण किए हैं. भोजपुरी जानने-समझने वालों का विस्तार विश्व के सभी महाद्वीपों पर है. जानकार बताते है कि ब्रिटिश राज के दौरान उत्तर भारत से अंग्रेजों द्वारा ले जाये गये मजदूर हैं, जिनके वंशज अब जहां उनके पूर्वज गये थे. वहीं बस गये हैं. इनमें सूरिनाम, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, फिजी आदि देश प्रमुख है. यहां पर भो भोजपुरी भाषी लोग रहते है. भारत में लगभग 25 करोड़ लोग भोजपुरी बोलते हैं. भोजपुरी प्राचीन समय में कैथी लिपि में लिखी जाती थी.
क्या है क्राइटेरिया
तीन दशकों के जनगणना आंकड़ों के अनुसार इसे कम से कम पांच लाख लोग बोलते हो. कम से कम स्कूली शिक्षा के माध्यम के रूप में इस भाषा का प्रयोग होता हो. लिखने की भाषा के रूप में 50 साल से अस्तित्व में होने का प्रमाण हो. साहित्य अकादमी उसके साहित्य का प्रचार-प्रसार करती हो. जनगणना आंकड़ों के मुताबिक, यह आसपास के इलाकों में दूसरी भाषा के रूप में इस्तेमाल की जा रही हो. नए बने राज्यों में राजभाषा का दर्जा मिला हो (मसलन कोंकणी, मणिपुरी). देश के बंटवारे के पहले किसी राज्य में बोली जाती हो और बंटवारे के बाद भी कुछ राज्यों में इस्तेमाल हो रही हो.
8वीं अनुसूची में शामिल होने के फायदे
रवि आगे कहते हैं कि यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) और अन्य सेंट्रल एग्जाम में में माध्यम बन सकती है. जिन राज्यों में बोली जाती है, वहां स्टडी मीडियम और सरकारी कामकाज की भाषा बन जाती है. लोकसभा और विधानसभा में प्रश्न पूछने या भाषण देने का माध्यम यानी अब आप नेपाली, कोंकणी, संताली, बोडो, डोगरी और सिंधी में यूपीएससी की परीक्षा दे सकते हैं, लेकिन भोजपुरी में नहीं.
इस वजह से नहीं मिल रहा दर्जा
भोजपुरी भाषा से पीएचडी कर रहे रवि प्रकाश सूरज ने बताया की भोजपुरी भाषा का इतिहास 7वीं सदी से शुरू होता है. वर्तमान में 25 करोड़ लोग इस भाषा को बोलते है. 8वीं अनुसूची में शामिल होने वाले सभी मापदंड पर भी है ये भाषा. इसके बावजूद ना संविधान में जगह दी जा रही ना राज्य भाषा में शामिल किया जा रहा है. कई सदियों बाद भी अगर दर्जा नहीं मिला तो सिर्फ राजनीतिक षड्यंत्र की वजह से कुछ अज्ञानी लोग मानते हैं कि भोजपुरी को संवैधानिक दर्जा मिल जाएगा तो हिंदी की लोकप्रियता कम हो जायेगी. लेकिन वो शायद ये नहीं जानते है कि हिंदी अलग भाषा है, भोजपुरी अलग है. दोनों को अलग-अलग लोग बोलने वाले हैं, फिर कैसे हिंदी के लिए भोजपुरी खतरा है.
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FIRST PUBLISHED : January 1, 2024, 18:30 IST