अभिषेक रंजन/ मुजफ्फरपुर : पीपल, बड़ और पाकड़ तीनों ही पेड़ विशाल होते हैं. अलबत्ता जब तीनों पेड़ एक साथ एक ही स्थान पर विशाल रूप में निकले हों, तो यह पेड़ों का संगम हो जाता है. इस पेड़ के नीचे स्थापित है अष्टधातु से बने 400 साल पुराने भगवान गौरी शंकर की प्रतिमा. जिसमें भगवान शंकर और गौरी दोनों ही विराजमान हैं. मुजफ्फरपुर के बेरई दक्षिणी में मौजूद इस गौरी शंकर धाम को लेकर कई मान्यताएं हैं. कहा तो यह भी जाता है कि इस मंदिर में मौजूद भगवान गौरी शंकर की प्रतिमा का आकार बढ़ रहा है.
400 साल पुराना है मंदिर का इतिहास
मंदिर के पुजारी और ग्रामीण 85 वर्षीय चंद्रकांत झा कहते हैं कि वे इस मंदिर को अपने दादा-परदादा के जमाने से देखते आ रहे हैं. इस मंदिर और प्रतिमा का इतिहास 400 साल पुराना है. चंद्रकांत झा कहते हैं कि अभी उनकी 85 वर्ष उम्र है. बचपन में जब वे इस मंदिर को देखते थे, तो मंदिर में विराजमान प्रतिमा का आकार छोटा था. जो अब तीन इंच तक बढ़ गया है. साथ ही मंदिर में मौजूद गौरी- शंकर की एक साथ वाली प्रतिमा में माता का मूर्ति खंडित है, जो पुन: अपने रूप को विकसित कर रहा है.
बेरई दक्षिणी के ही ग्रामीण हीरा ठाकुर ने लोकल 18 से बताया कि यह मंदिर बेहद पुराना और पौराणिक है. ग्रामीणों का कहना है कि मंदिर में मौजूद प्रतिमा का साइज बढ़ा है. तकरीबन तीन इंच तक मंदिर में विराजमान भगवान का साइज बढ़ा है. साथ ही प्रतिमा में भगवान का जो हिस्सा कटा हुआ है, वह भी फिर से विकसित हो रहा है.
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FIRST PUBLISHED : September 18, 2023, 19:41 IST