24 या 48 घंटे में शुरू हाेगा ड्रिलिंग वर्क, रेस्क्यू टीम के पास हैं ये 2 प्लान

नई दिल्ली. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने शनिवार को कहा कि उत्तराखंड में सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए जारी बचाव अभियान में लंबा समय लग सकता है, क्योंकि हॉरिजॉन्टल ‘ड्रिलिंग’ के लिए ऑगर मशीन में बार-बार खराबी आ रही है और अब बचावकर्मी वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं.

एनडीएमए सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने कहा कि वर्टिकल ‘ड्रिलिंग’ का काम अगले 24 से 36 घंटे में शुरू होगा. उन्होंने कहा कि ऑगर मशीन का अगला हिस्सा टूट गया है और सुरंग से उसे निकालने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने बचाव अभियान पूरा होने की कोई समयसीमा बताये बिना कहा, ‘‘हमें धैर्य रखने की जरूरत है क्योंकि यह एक खतरनाक अभियान है… इस अभियान में लंबा समय लग सकता है.’’ हसनैन के मुताबिक, यह बचाव अभियान हर दिन तकनीकी रूप से और जटिल होता जा रहा है.

24 से 48 घंटे में फिर शुरू हाेगा ड्रिलिंग का काम, अब रेस्क्यू टीम के पास हैं ये 2 प्लान

श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए सुरंग के ढहे हिस्से में की जा रही ‘ड्रिलिंग’ शुक्रवार रात पुन: रोकनी पड़ी थी. शुक्रवार को ‘ड्रिलिंग’ बहाल होने के कुछ देर बाद ऑगर मशीन स्पष्ट रूप से किसी धातु की वस्तु के कारण बाधित हो गई थी. एनडीएमए सदस्य ने कहा कि वर्तमान में 47-मीटर हॉरिजॉन्टल ‘ड्रिलिंग’ पूरी हो चुकी है. उन्होंने कहा कि ऑगर मशीन के टूटे हुए हिस्से को हटाना होगा और ‘ड्रिल’ किए गए ढांचे को स्थिर रखना होगा.

उन्होंने कहा कि बचावकर्ता अन्य विकल्प तलाश रहे हैं जैसे कि शेष हिस्से को हाथ से ‘ड्रिलिंग’ करना (मैन्युअल ड्रिलिंग’’ और वर्टिकल ‘ड्रिलिंग’ करना शामिल हैं. वर्टिकल ‘ड्रिलिंग’ विकल्प पर, एनडीएमए सदस्य ने कहा कि मशीनों को सुरंग के ऊपरी हिस्से में एक प्लेटफॉर्म पर रखा जा रहा है और वर्टिकल ‘ड्रिलिंग’ अभियान ‘‘अगले 24 से 36 घंटे’’ में शुरू हो जाएगा.

बेहद अभियान है जटिल
उन्होंने कहा कि सुरंग के ऊपरी हिस्से तक पहुंचने के लिए लगभग 86 मीटर तक वर्टिकल ‘ड्रिलिंग’ की आवश्यकता है. हसनैन ने कहा कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने सुरंग के ऊपर तक 1.5 किलोमीटर लंबी सड़क पहले ही बना दी है. उन्होंने कहा, ‘‘हमें थोड़ा धैर्य रखना होगा. हमें यह समझने की जरूरत है कि एक बहुत ही कठिन अभियान चल रहा है.’’ एनडीएमए सदस्य ने कहा कि वर्तमान में दो विधियों का इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन एक तीसरी विधि यानी ‘ड्रिफ्ट’ विधि का भी जल्द ही इस्तेमाल किया जा सकता है.

उन्होंने यह भी कहा कि सुरंग के अंदर ऑगर के फंसे हिस्सों को काटने के लिए उन्नत मशीनरी की आवश्यकता है और इस मशीनरी को हवाई मार्ग से लाने के लिए भारतीय वायु सेना की सहायता ली जा रही है. चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था जिससे उसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे. तब से विभिन्न एजेंसियां उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चला रही हैं.

सुरंग मामलों के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स के इस बयान कि सुरंग में फंसे श्रमिक क्रिसमस तक घर आ जाएंगे को लेकर सवाल पर हसनैन ने कहा, ” जब आप दूर से देखते हैं तो आपको समग्र स्थिति का पता चलता है. वहां पर से किसी का ये कहना कि 20 दिन या 45 दिन लग जाएगा रेस्क्यू करने में तो मैं नहीं समझता हूं कि वो शोभा देता है.” चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे उसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे. तब से विभिन्न एजेंसियां उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चला रही हैं.

Tags: Uttarkashi Latest News, Uttarkashi News

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *