मो. सरफराज आलम/ सहरसा. बिहार के कहरा ब्लॉक से तकरीबन 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बाबाबुल्केश्वर नाथ मंदिर की इस क्षेत्र में एक अलग ही पहचान और मान्यता है. यहां बाबा बुल्केश्वर नाथके साथ-साथ आप इस मंदिर में द्वादश ज्योतिर्लिंग का भी दर्शन कर सकते हैं. द्वादशज्योर्तिलिंग को मंदिर के बाहरी दीवारों पर पेंटिंग के द्वारा खूबसूरती से उकेरा गया है. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में बाबा को जल चढ़ाने पर बाबा बाणेश्वर, बाबा मटेश्वर और बाबा सिंहेश्वर की पूजा भी एक साथ हो जाती है. यह मंदिर तीनों धाम के मध्य में स्थित है.
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि बाबाबुल्केश्वर नाथ मंदिर तकरीबन 239 साल पुराना है. कहरा ब्लॉक से तकरीबन 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर की स्थापना 1784 में हुई थी.कहरा के ग्रामीण संजय झा के पूर्वज के द्वारा इस मंदिर का निर्माण कराया गया था. तकरीबन 4 एकड़ में फैला यह मंदिर बहुत ही भव्य और सुंदर है. इसी मंदिर के बगल में भैरव बाबा का भी मंदिर बना हुआ है. दूर-दूर से लोग इस मंदिर में पूजा करने आते हैं.
मंदिर से जुड़ी हुई है कई किंवदंती
पुजारी हेमेंद्र झा बताते हैं कि यह काफी पुराना मंदिर है. इस मंदिर से भक्तों की आस्था की कई कहानियां जुड़ी हुई है. वे बताते हैं कि जो भी श्रद्धालु इस मंदिर में अपनी मन्नतें लेकर आते हैं, उनकी मन्नते पूरी होती है. भक्तों की मान्यता है कि मंदिर में जलाभिषेक करने के बाद वह जल बाबा बाणेश्वर, मटेश्वर और सिंहेश्वर पहुंच जाता है.इसके अलावा जो भी श्रद्धालु यहां पर जलाभिषेक करते हैं उन्हें खुद ब खुद महसूस होने लगता है कि उनके द्वारा चढ़ाया गया जल इन तीनों धाम में पहुंच चुका है. वहीं, इस मंदिर के बगल में भैरव बाबा का भी मंदिर बना हुआ है. मंदिर के चारों ओर 12 ज्योतिर्लिंग की तस्वीर बनाई गई है. पुजारी बताते हैं कि यह एक ऐसा मंदिर है जिनकी मान्यता सबसे अलग है.
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FIRST PUBLISHED : September 03, 2023, 22:15 IST