20 साल पहले जहां हुआ था DM-SP के काफिले पर हमला, वहीं फिर फंस गई डीएम की गाड़ी

गुलशन कश्यप/जमुई. जमुई के डीएम राकेश कुमार इन दिनों जिले के नक्सल प्रभावित गांव का दौरा कर रहे हैं. इस दौरान वे आदिवासी समुदाय के लोगों से मिलकर उनकी समस्याएं जान रहे हैं. इसी क्रम में जब डीएम एक नक्सल प्रभावित गांव का दौरा करने पहुंचे, तभी अचानक उनके साथ कुछ ऐसा हो गया है कि उनके साथ चल रहे प्रशासनिक पदाधिकारी के हाथ-पांव सूख गए.

दरअसल, जिलाधिकारी राकेश कुमार की गाड़ी एक ऐसे जगह पर फंस गई जहां कभी पूर्व के डीएम और एसपी पर हमला हुआ था. यह वही इलाका था, जहां जाने से पहले पदाधिकारी हजारों बार सोचते थे. लेकिन ठीक उसी जगह पर घने जंगलों के बीच डीएम का काफिला रुक गया और उनके आगे का रास्ता समाप्त हो गया.

आदिवासी समुदाय का जायजा लेने पहुंचे थे डीएम
जिलाधिकारी राकेश कुमार जमुई जिले के खैरा प्रखंड क्षेत्र के अरुणमाबांक पंचायत में आदिवासी समुदाय के लोगों से बातचीत करने पहुंचे थे. इस दौरान जिलाधिकारी ने रंगनिया और एकटरवा गांव का दौरा किया. जिलाधिकारी उस गांव के लिए जा रहे थे और घने जंगलों के बीच से होकर उनका काफिला गुजर रहा था. चलते-चलते अचानक ही जिलाधिकारी के काफिले के सामने एक बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई. जिलाधिकारी की गाड़ी एक ऐसे जगह पर जाकर फंस गई, जहां से आगे जाने का कोई रास्ता ही नहीं था.

सामने एक नदी बह रही थी और उसी से होकर लोगों को जाना था. लोगों को इस बात का इल्म था कि वह जगह खतरे से खाली नहीं है. हालांकि जिलाधिकारी ने भी आदिवासी समुदाय के लोगों से मिलने की ठान रखी थी, तो पीछे मुड़ने की बजाय उन्होंने आगे बढ़ना सही समझा. फिर नदी पार करते हुए आदिवासी समुदाय के लोगों से मिलने के लिए निकल पड़े.

डीएम-एसपी के काफिले पर हुआ था हमला
जिस जगह जमुई जिलाधिकारी की गाड़ी फंसी थी, इस इलाके में पूर्व में जिलाधिकारी और एसपी के काफिले पर हमला भी हुआ था. जिसमें एक इंस्पेक्टर शहीद हो गए थे. दरअसल, वर्ष 2003 में खैरा थाना क्षेत्र के हड़खार पंचायत के तत्कालीन मुखिया गोपाल साह और उसके भाई की अपराधियों ने हत्या कर दी थी.

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इसके बाद अगली सुबह तत्कालीन जिलाधिकारी गोपाल प्रसाद और एसपी मो. बसमुद्दीन स्थिति का जायजा लेने घटनास्थल पर जा रहे थे. इसी बीच उन पर अपराधियों ने हमला कर दिया था, जिसमें झाझा थाना में पदस्थापित इंस्पेक्टर कपिलदेव प्रसाद शहीद हो गए थे.

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