सर्वेश श्रीवास्तव/अयोध्या : सनातन धर्म में एकादशी तिथि का व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. एक माह में दो बार एकादशी आती है, एक कृष्ण पक्ष की एकादशी और दूसरी शुक्ल पक्ष की एकादशी. इस तरह साल में कुल 24 एकादशी मनाई जाती हैं. लेकिन 24 एकादशियों में से कुछ एकादशी ऐसी हैं, जिन्हें सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 20 मार्च को है जिसे आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है. इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान पूर्वक पूजा आराधना करने का विधान है.
अयोध्या के ज्योतिषी नीरज भारद्वाज ने बताया कि फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को आमलकी एकादशी कहा जाता है. इस एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ-साथ विशेष तौर से आंवले के पौधे का पूजन किया जाता है, इसलिए इसे आंवला एकादशी भी कहते हैं. साथ ही इसे रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है. आंवला एकादशी की शुरुआत 20 मार्च 2024 को प्रात: 12 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 21 मार्च 2024 को प्रात: 02 बजकर 22 मिनट पर इसका समापन होगा. उदया तिथि के अनुसार आंवला एकादशी का व्रत 20 मार्च दिन बुधवार को रखा जाएगा.
आमलकी एकादशी व्रत की विधि
ज्योतिषी नीरज भारद्वाज ने बताया कि आमलकी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए. भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद पूजा घर को साफ करना चाहिए. एक वेदी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए. भगवान विष्णु का पंचामृत से स्नान करना चाहिए. पीले फूलों की माला अर्पित करनी चाहिए. हल्दी अथवा चंदन का तिलक लगाना चाहिए. पंजीरी और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए. भगवान विष्णु के मंत्रो का जाप करना चाहिए. ऐसा करने से जीवन में चल रही तमाम परेशानियों से मुक्ति मिल जाएगी.
करें इन मंत्रों का जाप
ज्योतिषी नीरज भारद्वाज ने बताया कि एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए, क्योंकि कहा जाता है कि मां तुलसी भगवान विष्णु के लिए इस दिन का उपवास रखती हैं. इस दिन तामसिक चीजें जैसे- मांस, शराब, लहसुन, प्याज आदि का सेवन नहीं करना चाहिए. साथ ही इन मंत्रों का जाप करना चाहिए.
⦁ ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
⦁ ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
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FIRST PUBLISHED : March 11, 2024, 21:25 IST
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