अनुज गौतम/सागर: एमपी में सागर के मकरोनिया में विश्व का सबसे बड़ा संत रविदास मंदिर बन रहा है. 100 करोड़ की लागत से इस मंदिर का निर्माण किया जा रहा है. खास बात यह कि मंदिर के गर्भगृह को 2000 साल पुरानी नागर शैली में बनाया जा रहा है. इस तकनीक में लोहे का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. मंदिर में पत्थर, रेत, सीमेंट और गिट्टी का इस्तेमाल हो रहा है.
वहीं इसके अलावा अयोध्या में बने भगवान राम के मंदिर निर्माण में जहां से पत्थर आ रहे हैं, उसी धौलपुर बंसी पहाड़पुर से रविदास मंदिर के लिए भी लाल पत्थर मंगवाए जा रहे हैं. इसमें कंसलटेंट कंपनी भी हैदराबाद की है और जिस कम्युनिटी ने अयोध्या के श्रीराम मंदिर का डिजाइन तैयार किया था, उसी कम्युनिटी ने संत रविदास मंदिर को भी डिजाइन किया है.
मंदिर के गर्भगृह में लोहे का उपयोग नहीं
12 अगस्त 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मंदिर का भूमि पूजन किया था. करीब 6 महीने में मंदिर का 25 फीसदी कम हो गया है. 2025 तक यह मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा. 11 एकड़ में इस भव्य मंदिर का निर्माण किया जा रहा है. मंदिर के साथ यहां पर भक्त निवास, म्यूजियम, लाइब्रेरी, कैफेटेरिया, जल कुंड जैसी चीजों का भी निर्माण किया जा रहा है. मंदिर का गर्भगृह 150 वर्ग स्क्वायर मीटर में है.
4 गैलरी में संत रविदास के जीवन का सार
एसडीओ मनीष डेहरिया ने बताया कि मंदिर का गर्भगृह तीन भागों में है, जिसका मुख्य मंडप 66 फीट ऊंचा होगा. इसे बनाने में किसी भी प्रकार की धातु का उपयोग नहीं किया जा रहा. इसमें चार गैलरी भी बनाई जा रही हैं, जिसमें संत रविदास के जीवन का सार मिलेगा. पहली गैलरी में संत रविदास के महान जीवन के दर्शन होंगे. दूसरी गैलरी में संत रविदास के भक्ति मार्ग और निर्गुण पंथ में योगदान को दिखाया जाएगा. तीसरी गैलरी में रविदासिया पंथ, चौथी गैलरी में साहित्य को दिखाया जाएगा. यहीं पर एक संत रविदास के नाम से जलकुंड भी बनाया जा रहा है.
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FIRST PUBLISHED : February 25, 2024, 11:30 IST