2 साल की उम्र में ही थाम लिया था बल्ला, अब IPL में धूम मचाएगा ये बल्लेबाज

 शिखा श्रेया/रांची.आईपीएल 2024 का ओक्शन खत्म हो चुका है और झारखंड की राजधानी रांची के रोबिन मिंज ने गुजरात टाइटंस में अपनी जगह बनाने में कामयाब रही है.गुजरात टाइटंस मे 3 करोड़ 60 लाख रुपए में इन्हें खरीदा है.इस सफलता से रोबिन के माता पिता काफी गदगद है. रोबिन के परिवार के लिए औक्शन के दिन ही दिवाली और होली मन गई.

रोबिन के पिता फ्रांसिस मिंज ने लोकल 18 से कहा कि सोचा नहीं था कि इतने अमाउंट में गुजरात टाइटंस खरीदेगी.हालांकि, हमें उम्मीद मुंबई इंडियंस से थी और चेन्नई सुपर किंग ने भी अपनी दावेदारी पेश की थी. हम गुजरात टाइटंस के शुक्रगुजार है कि उन्होंने हमारे बेटे को एक मौका दिया है.इस मौके के लिए रॉबिन ने जी तोड़ मेहनत और काफी संघर्ष किया है.इस सफलता से सही मायने में आज के दिन ही हमारे लिए दिवाली और होली है.

2 साल की उम्र से ही बाल्ला थाम लिए थे रोबिन
फ्रांसिस ने बताया बचपन से ही क्रिकेट खेलने का रॉबिन में एक अलग सा जुनून था. महज 2 साल की उम्र में ही वह बैट पकड़कर खेला करता था.जब सारे बच्चे गल्ली डंडा या लुका छुपी जैसे खेल खेलते थे.उस समय रॉबिन सिर्फ और सिर्फ क्रिकेट ही खेलता था.उसे आज तक क्रिकेट के अलावा कुछ और सोचा ही नहीं.अगर वह खाना भी खा रहा हो और कहीं से फोन आ जाए तो वह खाना छोड़कर क्रिकेट खेलने चल जाता.उन्होंने आगे बताया आदिवासी कम्युनिटी से वहां तक पहुंचना बहुत बड़ी बात है.मानो ऐसा लग रहा है कि मेरा बेटा चांद तक पहुंच गया है.वहीं, अगर भारतीय क्रिकेट टीम में इसका सिलेक्शन हो जाए तो मैं सोचूंगा यह सूरज तक पहुंच गया है.एक बार सपना है इसे देश के लिए खेलते देखूँ.

आज भी पिता से पूछे एक काम नहीं करते
फ्रांसिस बताते हैं आज भी रोबिन घर में मेरे से पूछे बगैर एक काम नहीं करता.भले उसके पास पैसे हो भी तो वह मुझसे हर एक चीज के लिए सलाह जरूर लेता है.अगर एक फोन या एक टैबलेट भी लेना हो तब एक बार पूछता है की कौन सा ले और कैसा लिया जाए. वही, पार्टी या फिर घूमना भी कई सालों से उसने बंद कर रखा है.क्योंकि हर दिन 5 से 6 घंटा की प्रैक्टिस किसी भी हाल में पूरी ईमानदारी से करता है और इसमें कोई खलल ना हो, इसलिए कड़ी डाइट भी फॉलो करता है.

हमेशा अनुशासित रहा रोबिन
रोबिन के कोच एसपी गौतम ने बताया रोबिन हमेशा डिसिप्लिन रहा है और काफी जल्दी चीजों को कैच करता है.एक बार जो सिखा दे उसे दोबारा सीखने की जरूरत नहीं पड़ती थी.क्रिकेट को लेकर एक अलग ही जुनून था.कभी भी उसने प्रैक्टिस में बेईमानी नहीं की.हमेशा समय का पाबंद रहा. इन सब चीज का नतीजा है कि आज उसे ऑक्शन में अच्छा खासा प्राइस में चुना गया.

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