उधव कृष्ण, पटना. पिछले कुछ दिनों से पटना में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. इससे जन जीवन प्रभावित हो रहा है. ऐसे मौसम में चिकित्सक भी सलाह दे रहे हैं कि छोटे-छोटे बच्चों के स्वास्थ्य की विशेष देखभाल की जरूरत है. इन्हीं बातों को देखते हुए पटना के डीएम ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए छोटी-छोटी अवधि में दी जा रही छुट्टी को 25 जनवरी तक बढ़ा दिया है. इसे लेकरशिक्षा विभाग व डीएम आमने-सामने आ गए हैं.
बात पावर और पावर के इस्तेमाल तक पहुंच गई है. दोनों ओर से पत्र जारी कर एक-दूसरे को उनका अधिकार क्षेत्र बताया जा रहा है. किसके तर्क में कितना दम है, इसको लेकर हमने पटना के फेमस शिक्षक गुरु रहमान से खास बातचीत की.
जिले की कमान जिलाधिकारी के पास
पटना के प्रसिद्ध शिक्षाविद् और सिविल सेवा की मुफ्त में तैयारी करवाने वाले गुरु रहमान की माने तो पटना डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने कानून की सुसंगत धाराओं के अनुसार छुट्टी को विस्तारित किया है. गुरु रहमान डीएम के इस फैसले को सही बताते हुए उनकी भूरी-भूरी प्रशंसा करते हैं. वहीं, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के बारे में पूछने पर वे कहतेहैं कि बड़ी ऊहापोह वाली स्थिति उत्पन्न हो गई है.
अगर पटना जिला के शिक्षक शिक्षा विभाग का आदेश मानते हैं और स्कूल में बच्चों को आने देते हैं तो शिक्षकों पर धारा-144 के तहत कार्रवाई भी हो सकती और अगर नहीं मानते हैं तो विभाग की तलवार उनपर लटकेगी.
जिले में दंडाधिकारी करेंगे फैसला
गुरु रहमान ने बताया कि जिले में डीएम ही फैसला लेने के लिए अधिकृत हैं. रहमान ने उनके पत्र के बारे में बताते हुए कहा कि डीएम ने अपने पत्र में भी स्पष्ट कहा है कि माध्यमिक शिक्षा निदेशक की ओर से जारी 23 जनवरी से आठवीं तक के स्कूलों को खोलने का आदेश मान्य नहीं होगा. जिला दंडाधिकारी का पूर्व आदेश ही इस मामले में प्रभावी होगा.
गुरु रहमान ये भी कहते हैं कि भले रैंक में अपर मुख्य सचिव किसी भी डीएम से सीनियर हों, पर जब बात जिले में कानून और विधि व्यवस्था को लागू अथवा निरस्त करने की आती है, तो जिले का डीएम जो दंडाधिकारी के रूप में कार्य करता है वह अपनी सम्मति से नियमों को लागू, निरस्त अथवा विस्तारित कर सकता है.
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क्या है कानूनी प्रावधान?
महामारी एक्ट के सेक्शन-3 के अनुसार अगर कोई इस कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करता है या सरकारी निर्देशों व नियमों को तोड़ता है, तो उसे दंडित किया जा सकता है. किसी सरकारी कर्मचारी के ऐसा करने पर भी यह धारा लगाई जा सकती है. इस कानून का उल्लंघन करने या कानून व्यवस्था को तोड़ने पर दोषी को कम से कम एक महीने की जेल या 200 रुपए जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है.
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FIRST PUBLISHED : January 24, 2024, 10:14 IST