17 हजार पांडुलिपियां….70 हजार किताबें, विश्व प्रसिद्ध है यूपी की यह लाइब्रेरी, जानें खासियत

अंजू प्रजापति/रामपुर: उत्तर प्रदेश के रामपुर में बनी विश्व प्रसिद्ध रजा लाइब्रेरी एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी में से एक है. रजा लाइब्रेरी अपने बेशकीमती कलेक्शन की वजह से विश्व प्रसिद्ध है. वैसे तो रामपुर मुख्य रूप से मुस्लिम बहुल शहर है. लेकिन रामपुर नवाब द्वारा बनाये गए पुस्तकालय की मीनारें भारत की समधर्मी परम्पराओं की सच्ची आत्मा को दर्शाती है.

लाइब्रेरियन डॉ. अबू साद इस्लाही के मुताबिक राजा लाइब्रेरी के खजाने में 17,000 पांडुलिपियां और 70,000 किताबें हैं. इन बेशकीमती दुर्लभ पांडुलिपियों को देखने के लिए दुनिया भर से लोग यहाँ आते हैं. लाइब्रेरियन बताते हैं कि रामपुर नवाब ने यहां की तहजीब और कल्चर को अलग ही अंदाज से देखा और समझा. उन्होंने गंगा जमुनी तहजीब को बरकरार रखा. रजा पुस्तकालय की मीनारों में हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई आपस में है सब भाई-भाई का अनूठा नमूना पेश किया.

भाईचारा का पैगाम दे रहीं लाइब्रेरी

रामपुर रज़ा पुस्तकालय की स्थापना नवाब फैज़ुल्लाह खान ने 1774 में की थी. उस समय यह नवाबो का निजी पुस्तक संग्रह हुआ करता था. 1905 में बनी यह भव्य इमारत की मीनारें सालों से भाईचारा, सहनशीलता और अमन का पैगाम दे रहीं है. अगर आप इसकी मीनारों को गौर से देखेंगे तो लाइब्रेरी की मीनारों में धार्मिक स्थलों के प्रतीक समायोजित है. इसकी मीनार पर सबसे ऊपर के हिस्से में मंदिर और उसके नीचे गुरुद्वारा, उसके बाद चर्च की शक्ल का नमूना और अंत में मस्जिद का प्रतीकात्मक बना हुआ है. जिसका नमूना पेश करते हुए नवाबों ने विभिन्न समुदायों के बीच की खाई को पाटने का काम किया.

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