150 साल पुराने इस मंदिर में अनूठी हैं गणेश प्रतिमा, अब तक किसी को नहीं मिला मूर्ति का दूसरा छोर

रवि सिंह/ विदिशा. हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की आराधना सबसे पहले की जाती है.कोई भी प्रमुख व्रत, त्योहार, विवाह और अनुष्ठान बिना भगवान गणेश की आराधना किए शुरू नहीं किया जा सकता. सभी देवी-देवताओं में प्रथम पुजनीय गणपति जी है. विदिशा के पास बेस नगर में एक प्राचीन गणेश मंदिर है जिसकी प्रतिमा मनमोहक और अनूठी प्रतिमा है.

बेस नगर में रहने वाले बुजुर्ग जालम सिंह जी का कहना है कि यह प्रतिमा 150 साल पुरानी है. इस मंदिर का जीर्णोद्धार करते समय प्रतिमा का मुख सड़क की ओर करने का प्रयास किया गया था, लेकिन सफलता नहीं मिली और करीब 3-4 फीट गहराई में खोदने के बाद भी उस चट्टान का छोर नहीं मिला जिस पर यह प्रतिमा स्थापित है. इससे अंदाज लगाया जाता है कि यह प्रतिमा स्थापित नहीं की गई. बल्कि यहीं पर एक चट्टान पर उकेरी गई है.

प्राचीनता का प्रमाण देती है मूर्ति
इसकी बनावट और प्रतिमा का मस्तक ही अपनी प्राचीन शैली का प्रमाण खुद देता है. इसके निर्माण की शैली प्रतिमा के सदियों पुराने होने का अहसास दिलाती है. हाथी के सिर वाली यह प्रतिमा एक चट्टान को काटकर गढ़ी गई है. खत्री परिवार ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया है.

इसी मंदिर से यात्रा शुरू करते थे शिवराज
बसे नगर के रहने वाले बृजेश गुर्जर का कहना है कि यह मंदिर पुराना है और इस मंदिर में गणपति जी की मूर्ति भी काफी प्राचीन है और यहां पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी आ चुके हैं. वे जब विदिशा के सांसद थे तब कई बार चिंतामन गणेश जी के यहां से यात्रा शुरू करते थे. जब भी इस मंदिर में आते थे तो लड्डू का भोग लगाते थे. जब भी कोई यात्रा करते थे तो वह इसी मंदिर से यात्रा प्रारंभ करते थे. उन्होंने कई बार यहां से ट्रैक्टर से यात्राएं शुरू की है.

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FIRST PUBLISHED : September 12, 2023, 00:03 IST

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