रामकुमार नायक/रायपुरः सनातन धर्म में रामायण काल की घटनाओं को विशेष महत्व दिया जाता है. रामायण के अनुसार, भगवान राम ने अपने जीवन का एक अद्वितीय समय बिताया, जब उन्होंने 14 वर्षों तक वनवास में रहकर कंदमूल का सेवन किया. कंदमूल को कई स्थानों पर राम फल के नाम से भी जाना जाता है. यह एक जंगली फल है जिसकी खेती नहीं हो सकती, क्योंकि यह खेतों और जंगलों में अपने आप उग जाता है. वनवास के दौरान, भगवान राम, सीता, और लक्ष्मण ने अपनी आजीविका के लिए जंगल की सहारा लिया और वहां से जो कुछ भी उपलब्ध था, उसे उपभोग किया.
कंदमूल खाने से जल्दी नहीं लगती है भूख
कथाओं के अनुसार, 14 वर्षों तक भगवान राम, सीता, और भाई लक्ष्मण ने कंदमूल खाकर अपना जीवन व्यतीत किया था. दरअसल, इसे खाने के बाद जल्दी भूख नहीं लगती थी. कंदमूल फल खाने से पेट लंबे समय तक भरा रहता था और ऊर्जा मिलती थी. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से महज 108 किमी दूर राजनांदगांव जिले में डोंगरगढ़ की पहाड़ी पर माता बम्लेश्वरी का मंदिर है. इसी मंदिर परिसर के बाजार में श्री राम कंदमूल मिलता है.
कंदमूल की जानें कीमत
श्रीराम कंदमूल बेंच रहे मनदीप शेठ ने बताया कि इसे चित्रकूट और नासिक का मेवा भी कहते हैं. इसका स्वाद मीठा और ठंडा होता है. जानकर बताते हैं कि इसका सेवन करने से पेट सम्बंधित लाभदायक होता है. एक नग 5 रुपए और 10 रुपए में मिलती है. डोंगरगढ़ की पहाड़ी में माता बम्लेश्वरी के दर्शन करने आए भक्त श्रीराम कंदमूल जरूर खाते हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 17, 2023, 16:25 IST