13 साल बाद फिर अष्टमुखी पशुपतिनाथ के मुख पर पड़े अजीब निशान, वजह सामान्य नहीं!

शादाब चौधरी/मन्दसौर: विश्व प्रसिद्ध अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिमा मंदसौर में विराजित है. ऐसे में रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु बाबा भोले के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं. भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिमा अष्टमुखी यानी 8 मुखी है. बाबा पशुपतिनाथ की 8 मुखी प्रतिमा में पांच मुख पर निशान पड़ने लगें हैं. जानकारी के मुताबिक, पहले भी प्रतिमा के कई हिस्सों में पर वज्र लेप लगाकर सुधार किया गया था, वहीं अब फिर से वही हालात बनने लगे हैं.

नेत्र सहित चेहरे पर निशान
करीब 1200 साल पुरानी मानी जाने वाली अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ की सवा 7 फीट ऊंची प्रतिमा चमकदार चिकने और गहरे ताम्र वर्ण आग्नेय पत्थर से बनी है. बाबा पशुपतिनाथ की इस विशाल और भव्य प्रतिमा के दर्शन करने बड़ी संख्या में भक्त यहां आते हैं. हाल ही में देखा गया कि भगवान पशुपतिनाथ की मूर्ति के 8 में से 5 मुख पर मस्तक, नेत्र, नाक और चेहरे पर स्थाई निशान पड़ने लगे हैं. तस्वीरों में स्पष्ट रूप से भगवान पशुपतिनाथ के चेहरे पर निशान देखे जा सकते हैं. जानकारी के मुताबिक, यह निशान पहले भी देखे जा चुके हैं. साल 2009-10 में मूर्ति के कई हिस्सों में वज्र लेप लगाया गया था, अब 13 साल बाद यानी कि 2023 में फिर से वही हालात बनते नज़र आ रहे हैं. साल 2008 में भी केमिकल व पत्थरों से प्रतिमा पर चूर्ण लगाया गया था, वहीं साल 2005 में एक मुख को दुरुस्त करना पड़ा था.

क्यों पड़ रहे हैं निशान
अष्ट मुखी भगवान पशुपतिनाथ के मुख पर निशान बढ़ने की बड़ी वजह प्रतिमा पर चढ़ाया जाने वाला जल भी बताया जा रहा है. हालांकि, कुछ सालों पहले श्रद्धालुओं के द्वारा प्रतिमा पर चढ़ाए जाने वाले जल पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. साथ ही गर्भगृह में रेलिंग भी लगाई जा चुकी है, ताकि कोई भी व्यक्ति प्रतिमा को छू न पाए. मुख्य पुजारी कैलाश भट्ट की मानें तो भगवान पशुपतिनाथ को जल अभिषेक करने में भी सावधानी बरती जा रही है, लेकिन बावजूद इसके भगवान के मुख पर पड़ने वाले निशान में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है.

प्रतिमा का जलमग्न होना भी बड़ी वजह
शिवना नदी किनारे स्थित भगवान पशुपतिनाथ मंदिर के गर्भगृह में बारिश के दिनों में साल दर साल पानी प्रवेश करता है और बाबा की प्रतिमा जलमग्न हो जाती है. इस साल भी पानी ने मंदिर में प्रवेश किया और भगवान पशुपतिनाथ की अष्टमुखी प्रतिमा के 4 मुख जलमग्न हो गए, यही वजह है कि बाबा के मुख पर पड़ने वाले निशानों में बढ़ोतरी हुई है.

बाढ़ से आ रही दिक्कत
पशुपतिनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी कैलाश भट्ट ने बताया कि भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिमा की प्रकृति स्पष्ट है. नीचे के 4 मुख में वज्र लेप लगाने के कारण शिवना नदी का पानी गर्भगृह में आने से वज्र लेप निकलने लगता है और बाबा के मुख पर निशान पड़ने लगते हैं. श्रद्धालु भगवान पशुपतिनाथ को जल अर्पित न कर सकें और न ही प्रतिमा को छू सकें, इसके लिए समिति ने गर्भगृह में बड़ी रेलिंग लगाई है. साथ ही पशुपतिनाथ भगवान को जल अभिषेक करने में भी कमी की गई है.

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