विकाश पाण्डेय/ सतना: सतन के बिहारी जी मंदिर में आयोजित होने वाली रामलीला बेहद ही खास है. यहां 1897 यानी 127 साल से रामलीला का आयोजन नवरात्रि में किया जा रहा है यहां रामलीला का मंचन आज भी रामचरितमानस के आधार पर दोहे और चौपाई सहित वाद्ययंत्रों के साथ किया जाता है. आज भी यहां होने वाली रामलीला में दर्शकों को जोड़े रखने सहित यथार्थ को सटीक उतार देने का भाव देखने को मिलता है.
श्री बिहारी रामलीला समाज के आयोजक मंडल की अध्यक्ष प्रकाश जी ने बताया कि इस रामलीला की शुरूआत नगर के सब से प्राचीन धार्मिक स्थल मंदिर श्री बिहारी जी में मंदिर के महंत स्वर्गीय बाबा वृंदावन दास द्वारा 1897 में स्थनीय कलाकारों के सहयोग से प्रारंभ की थी. 1920 में बाबा वृंदावन दास क स्वर्गवास हो गया जिसके बाद उनके बड़े पुत्र पंडित बिहारी प्रसाद दुबे जो की उस समय 17 वर्ष के थे उन्होंने रामलीला मंचन की कमान अपने हाथों में सम्हाली और स्थानी कलाकारों संग 1958 तक निरांत मंचन करते रहे जिसके बाद 1958 से अब तक हरी प्रकाश जी और उनके साथियों द्वारा सुभाष पार्क में रामलीला का अयोजन किया जा रहा है.
सड़क में ही बन जाता था मंच
प्रकाश जी ने बताया की शुरुआती दिनों में रामलीला का मंचन श्री बिहारी जी मंदिर के सामने होता था दर्शकों की संख्या बढ़ने के कारण सड़क पर ही मंच बना लिया जाता था. काफी वर्षों बाद 1966 में शहर के एक प्रतिष्ठित व्यापारी रामगोपाल अग्रवाल जी द्वारा सुभाष पार्क में रामलीला रंगमंच तैयार करवाया गया जिसमें अभी तक इस रामलीला मंचन का अयोजन आयोजित होता आ रहा है.
संस्कृति का संरक्षण और रिश्तों की मधुरता का संदेश
श्री बिहारी जी रामलीला समाज सतना के आयोजक मंडल की अध्यक्ष प्रकाश जी ने बताया की अपनी संस्कृति और बड़े बुजुर्गों का सम्मान,संबाधों का महत्व, और छोटे को कैसे रहना है बड़ों को कैसे घर सम्हालना है समस्त संदेशों को हम इस रामलीला की मंचन के द्वारा पहुंचाया जाता है ताकि समझा में भाई चारा और परिवार में सभी का सम्मान बना रहे.
.
FIRST PUBLISHED : October 19, 2023, 11:01 IST