रिपोर्ट-रवि पायक
भीलवाड़ा. महाशिवरात्रि पर हर शिव भक्तों का मेला शिवालयों में लगा हुआ है. आज हम आपको भीलवाड़ा के एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं जो प्राचीन होने के साथ ही प्राकृतिक और एतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. यह मंदिर पहाड़ की एक चट्टान पर टिका हुआ है. इसलिए इसे अधरशिला महादेव मंदिर कहते हैं.
इस मंदिर में राजस्थान, मध्य प्रदेश से शिव भक्त महादेव के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. यहां की मान्यता है कि यहां पर पूजा पाठ करने से भक्तों के सारे कष्ट, पीड़ा और दर्द दूर हो जाते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है.
12 सौ साल पुराना मंदिर
मंदिर के महंत शंभु नाथ योगी यहां की कथा कहते हैं. वो बताते हैं भीलवाड़ा शहर के उपनगर पूर में स्थित अधर शिला महादेव मंदिर 1200 साल से अधिक प्राचीन है. यहां पर करीब 1200 साल पहले श्री चौरंगी नाथ महाराज ने तपस्या की थी. इसी मंदिर परिसर में उनकी जीवित समाधि भी है. यह एक दर्शनीय स्थान होने के साथ ही पर्यटन स्थल के रूप में भी काफी खूबसूरत है. यहां पर साल भर हर सोमवार और रविवार को शिव भक्त महादेव के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं.
तात्या टोपे रुके थे यहां
कहा जाता है 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महान क्रांतिकारी तात्या टोपे अपनी सेना के साथ यहां पर कुछ दिन रुके थे. उन्होंने भगवान अधरशिला महादेव के दर्शन किए थे और इसके बाद वह अपनी क्रांतिकारी यात्रा पर निकले थे.
शेर-बकरी एक साथ पीते थे पानी
स्थानीय लोगों और श्रद्धालओं की मानें तो इस मंदिर में दर्शन करने से भक्तों के सब दर्द -पीड़ा दूर हो जाती हैं. इसी मंदिर परिसर में एक कुंड है जिसका नाम मोर कुंड है. मान्यता है कि पौराणिक दौर में जब यहां जंगल हुआ करता था तब शेर और बकरी एक साथ पानी-पीने पहुंचते थे. यहां पर कई बड़े-बड़े महंत और संतों ने तपस्या की है.
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FIRST PUBLISHED : March 7, 2024, 22:09 IST