1200 वर्ष पुरानी है चौसठ योगिनी माता की प्रतिमा, यहां गुप्त नवरात्रि में साधना करने आते हैं लोग

दीपक पाण्डेय/खरगोन. जिले में चौसठ योगिनी माता का अति प्राचीन मंदिर है. मंदिर में करीब 1200 वर्ष पुरानी माता की अद्भुत प्रतिमा है. देवी अपर्णा के रूप में माता यहां विराजमान हैं. गुप्त नवरात्रि में दर्शन पूजन के लिए खासतौर पर दूर-दूर से भक्त यहां आते हैं. तंत्र-मंत्र की सिद्धि के लिए मंदिर काफी प्रसिद्ध है.

यह मंदिर जिला मुख्यालय से लगभग 59 Km दूर ग्राम चोली में मोगावा रोड पर है. गर्भगृह में करीब 5 फीट ऊंची पाषाण से निर्मित प्रतिमा है. बताते हैं कि इस प्रतिमा का निर्माण 9वीं शताब्दी में परमार काल में छह माह की रात्रि में हुआ है. हाल ही में सैकड़ों वर्ष बाद माता ने अपना चोला छोड़ा. तब माता की असली प्रतिमा के दर्शन हुए.

सैकड़ों वर्ष बाद छोड़ा चोला
मंदिर में विगत 17 वर्ष से साधनारत तपस्वी द्वारकापुरी महाराज ने बताया कि माता के 108 स्वरूप होते हैं. देवी अपर्णा उन्हीं में से एक हैं. 2010-11 में मंदिर बना है, लेकिन मूर्ति प्राचीन है. बरसों से माता की प्रतिमा पर सिंदूर चढ़ा हुआ था. बीते माह माता ने चोला छोड़ा तब उनका वास्तविक स्वरूप नजर आया.

पद्मासन में विराजित हैं देवी
उन्होंने बताया कि चेहरे पर लगा सिंदूर देखा तो नीचे छेद था. हाथ लगाया तो पूरा मुखौटा बाहर आ गया. तब मूर्ति पर की गई कलाकृतियां नजर आईं. यौवन अवस्था में माता ने सिर पर मुकुट पहना है. दोनों हाथ सामने की ओर आपस में बंधे हैं. अभय मुद्रा धारण किए हुए हैं. पत्थर की चट्टान पर बैठी हैं. एक पैर जमीन पर है.

108 शक्तिपीठ में से एक है
गांव के किशोर सिंह ठाकुर (तकन बाबा) ने बताया कि चोली गांव 108 शक्तिपीठ में से एक माना जाता है. यहां साढ़े ग्यारह हनुमान, चौसठ योगिनी, 52 भैरव होने से तंत्र मंत्र साधना का गढ़ माना जाता है. गुप्त नवरात्रि में अपर्णा देवी का दूसरा दिन माना जाता है, लेकिन पूरे नौ दिन बड़ी संख्या में लोग माता की साधना करने यहां आते हैं.

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