110 साल की परदादी सिधारी स्वर्ग, इतना बड़ा है कुनबा, यकीन करना मुश्किल

झाबुआ. झाबुआ जिले की सबसे बुजुर्ग महिला गेंदकुंवर राठौर (चंद्रावत) का 110 साल की उम्र निधन हो गया. गेंदकुंवर रतलाम जिले के ठिकाना जड़वासा की रहने वाली थीं. उनका विवाह झाबुआ जिले की पेटलावद तहसील के डाबड़ी ठिकाने के करणसिंह राठौर से हुआ था. वे अपने पीछे भरापूरा परिवार छोड़ गई हैं. उनके चार बेटे, 3 बेटियां, 11 पोते-पोतियां और 12 पड़ पोते-पोतियां हैं. साल 2022 में उनके पड़ पोतों ने उनके लिए समारोह आयोजित किया था. इसमें उन्होंने परदादी को स्वर्ण सीढ़ी भेंट की थी. इस समारोह में उनका पूरा कुनबा शामिल हुआ था. 110 साल की गेंदकुंवर धर्म पारायण महिला थीं.

वे बिना चश्मे के रोज रामायण पाठ करती थीं. यह उनकी दिनचर्या का हिस्सा था. उनका शरीर जरूर कमजोर था लेकिन याददाश्त ऐसी थी कि जो भी मिलता नाम से पहचान जातीं. गेंदकुंवर ने साल 2019 के लोकसभा चुनावों में मतदान भी किया था. करीब 110 साल की गेंदकुंवर का अंतिम संस्कार डाबड़ी गांव में किया गया. इसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए. गौरतलब है कि परदादी गेंदकुंवर को उनका परिवार बेहद चाहता था.

पड़ पोतों ने किया था आलीशान समारोह
परिवारवाले खुशनसीबी मानते थे कि परदादी अभी भी उनके साथ थीं. साल 2022 के नवंबर महीने में पड़ पोतों ने उनके लिए आलीशान समारोह का आयोजन किया था. इस समारोह में परदादी के ससुरालपक्ष के साथ-साथ मायके वाले भी शामिल हुए थे. इस मौके पर पड़ पोतों ने उन्हें स्वर्ण सीढ़ी भेंट की थी. गेंदकुंवर ने समारोह में मौजूद हर शख्स को न केवल पहचाना, बल्कि आशीर्वाद भी दिया.

बिना चश्मा लगाए पढ़तीं रामायण
110 साल की परदादी को भगवान श्री राम से बेहद लगाव था. वे रोज रामायण पाठ करती थीं. सुबह जल्दी उठाना, उठते ही नहा लेना और फिर रामायण पाठ करना, ये उनकी दिनचर्या में शामिल था. कमाल की बात यह है कि वे रामायण का पाठ बिना चश्मा पहने करती थीं. इतना ही नहीं, उन्हें रामायण की चौपाइयां याद थीं. वे घरवालों को रोज रामायण की चौपाइयां सुनाया करती थीं.

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