कुंदन कुमार/गया : पितृपक्ष चल रहा है. जिसमें 17 दिनों का त्रिपाक्षिक श्राद्ध करने वाले श्रद्धालु दसवीं तिथि को राम गया तीर्थ एवं सीता कुंड तीर्थ में गया श्राद्ध करते हैं. 10 वें दिन सीताकुंड पर सुहाग पिटारी दान और बालू का पिंड अर्पित किया जाता है. फल्गु नदी की बालू से पिंड बनाकर विधि विधान पूरा किया जाता है. कहा जाता है सीताकुंड में मां सीता ने बालू का पिंडदान राजा दशरथ को दिया था, तब से पितरों को बालू का पिंडदान देने का परंपरा है.
इसके बाद ही राजा दशरथ को मोक्ष की हुई प्राप्ति
पंडित अजीत कुमार उपाध्याय बताते हैं कि गया के फल्गू तट पर स्थित सीताकुंड में भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता वनवास काल में राजा दशरथ की मृत्यु के पश्चात पिंडदान करने आए थे. भगवान श्रीराम और लक्ष्मण पिंड की सामग्री लेने के लिए नगर की ओर चले गए. इसी बीच राजा दशरथ की आकाशवाणी हुई. जिसमें राजा दशरथ ने कहा पुत्री सीता जल्दी से हमें पिंड दे दो. पिंड देने का मुहूर्त बीतता जा रहा है.
माता सीता ने भगवान श्रीराम और लक्ष्मण के आने में देरी होते देख फल्गु नदी के बालू का पिंड बनाया और राजा दशरथ को अर्पित कर दिया. इसके बाद राजा दशरथ को मोक्ष की प्राप्ति हुई. तब से सीताकुंड पिंडवेदी पर बालू का पिंड बनाकर पितरों को देने का प्रावधान है.
जानिए राम गया वेदी की मान्यता
राजा दशरथ को पिंडदान करने की बात जब माता सीता ने श्रीराम को बताई तो उन्होंने कहा कि बिना किसी सामग्री के पिंडदान कैसे किया जा सकता है. माता सीता द्वारा पिंडदान करने की बात सुनकर भगवान श्रीराम काफी क्रोधित हुए. उन्होंने जौ के आटा व अन्य सामग्री का पिंड बनाकर पिता राजा दशरथ का पिंडदान कर्मकांड के साथ किया. जो आज राम गया वेदी के नाम से जाना जाता है. जहां आज भी लोग जौ का आटा व अन्य सामग्री का पिंड बनाकर पिडंदान करते हैं.
राम वेदी तक पहुंचने के लिए सीताकुंड मुख्य गेट से जाने के बाद पत्थर की सीढ़ी चढऩे के बाद पूर्व दिशा की ओर मुड़ जाएं. वहीं पर राम गया वेदी है जहां श्रद्धालु पिंडदान करने के बाद पिंड को अर्पित करने पहुंचते हैं.
माता सीता ने दिया था श्राप
माता सीता ने गाय, फल्गु नदी, ब्राह्मण, तुलसी और अक्षयवट को साक्षी मानकर ससुर राजा दशरथ का पिंडदान किया था. उन्होंने सभी से आग्रह किया कि आप श्रीराम को बताएं कि पिंडदान किया जा चुका है. इस बाबत, गाय, ब्राह्मण, फल्गु और तुलसी मुकर गए, लेकिन अक्षयवट ने माता सीता के द्वारा पिंडदान की बात स्वीकार की और माता सीता ने अक्षयवट को छोड सभी को श्राप दे दिया.
माता सीता ने गाय को श्राप दिया कि तू पूज्य होकर भी लोगों का जूठा खाएगी. फल्गु को श्राप दिया कि नदी, जा तू सिर्फ नाम की नदी रहेगी, तुझमें पानी नहीं रहेगा. वहीं तुलसी को श्राप दिया गया कि तुम किसी गंदे जगह पर उगेगी. वही ब्राह्मण को श्राप दिया गया कि आपको जितना भी मिलेगा फिर भी आपको और जरुरत होगी.
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FIRST PUBLISHED : October 7, 2023, 09:35 IST