1.5 फीट की मेढ़ पर 50 हजार का हुआ फायदा…तो 25 बीघे में शुरू की इस फल की खेती

कुंदन कुमार/गया : किसान अब अपनी आमदनी बढाने के लिए खेती का ट्रेंड बदल रहें है और कैश क्रॉप्स की खेती कर रहें है. इसी क्रॉप्स मे एक नाम है पपीता की खेती. पपीता की खेती एक ऐसी खेती है जिसमें किसान लागत से 10 गुना अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. बिहार के गया जिले के किसान भी इस खेती से जुड़े हुए हैं और अच्छी आय कर रहें हैं.

जिले के मानपुर प्रखंड के भदेजा गांव जिसे पपीता उत्पादन का हब कहा जाता है. यहां बड़े पैमाने पर पपीता की खेती की जा रही है. यह जिले का एकमात्र गांव हैं. जहां बड़ी संख्या में किसान इसकी खेती से जुड़े हुए हैं.

गांव में 20 साल पहले खेत के मेढ़ पर लगाया पपीता

भदेजा गांव में छोटे बडे़ 50 से अधिक किसान पपीता कि खेती पिछले 20 साल से कर रहें हैं. यहां लगभग 25 बीघा में इसकी खेती होती है. फल की बिक्री गया के मंडी में बड़े आसानी से हो जाती है. किसानों को थोक भाव 35-40 रुपये मिल जाती है.

इस गांव में 20 साल पहले खेत के मेढ़ पर पपीता लगाया जाता था. इससे किसानों को अच्छा फायदा हुआ. फायदा देख किसानो ने धान, गेहूं और सब्जी की खेती छोड़कर पपीता की खेती से जुड़ गए. शुरुआत के दिनों में एक दो किसान ही पपीता की खेती करते थे, लेकिन आज यहां 50 से अधिक किसान इसकी खेती से जुड़ गए हैं.

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लगभग 30 लाख रुपये की हो रही है आय

भदेजा गांव में वैसे तो दोनों समुदाय के लोग रहते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा एक समुदाय के लोग इससे जुडे हुए हैं. इन्हें देखकर दूसरे समुदाय के लोग भी धीरे धीरे इससे जुड़ते जा रहें हैं. आज के दिनों में गया के बाजार में यहीं की पपीता देखने को मिलती है. प्रत्येक महीने इस गांव को पपीता से लगभग 30 लाख रुपये की आय हो रही है. गांव के किसानों ने बताया अन्य फसल में ज्यादा मुनाफा नहीं होता था, जिस कारण पपीता की खेती से जुड़े और आज अच्छी कमाई हो रही है.

पपीता खाने में भी काफी है मीठा

किसानों ने बताया पपीता की खेती 2 साल के लिए होती है. एक बार लगाने के बाद दो साल तक इसमें फल आता है. एक पेड़ से लगभग 40 किलो तक फल आता है. यहां लोकल देसी पपीता की खेती होती है. जिसकी डिमांड अधिक है. यहां का पपीता खाने में भी काफी मीठा है.

किसानों का मानना है कि उन्हें किसी भी तरह की सरकारी मदद नहीं मिलती. अगर इन्हें थोडा सपोर्ट मिल जाए तो और भी किसान इससे जुड़कर पपीता के उत्पादन को बढ़ा सकते हैं. जब भी आंधी पानी आती है. पपीता का पेड़ उखड़ जाता है. हमें काफी नुकसान हो जाता है. सरकार अगर इसके लिए बीमा कर दे तो हम किसानों के दिन संवर जाएंगे.

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