1 नवंबर से शुरू होगी यूपी में संस्कृत में सिविल सेवा की मुफ्त कोचिंग

एक नवंबर से संस्कृत साहित्य में सिविल सेवा की निशुल्क कोचिंग का तीसरा सत्र शुरू होने जा रहा है.

News Nation Bureau | Edited By : Nihar Saxena | Updated on: 19 Aug 2021, 09:45:53 AM
Civil Services

तीन चरणों में दी जा रही है कोचिंग. (Photo Credit: न्यूज नेशन)

highlights

  • 10 माह का प्रशिक्षण 3 चरणों में संपादित किया जाता है
  • देववाणी संस्कृत भाषा को रोजगार से जोड़ने का प्रयास

लखनऊ:  

उत्तर प्रदेश में एक नवंबर से संस्कृत साहित्य में सिविल सेवा की निशुल्क कोचिंग का तीसरा सत्र शुरू होने जा रहा है. इसके लिए कार्ययोजना तैयार कर ली गई है. संस्कृत भाषा के संवर्धन के लिए अभ्यर्थियों को संस्कृत का मुख्य विषय बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इतना ही नहीं, प्रशासनिक सेवाओं में भी संस्कृत भाषा को बढ़ाने का प्रयास तेजी से चल रहे हैं. मात्र दो साल के अंतराल में ही राज्य सिविल सेवा परीक्षा में संस्कृत के अभ्यर्थियों ने शीर्ष नौवें स्थान से लेकर अंतिम सूची में स्थान प्राप्त किया है तथा 4 विद्यार्थी चयनित भी हुए हैं, जबकि 9 विद्यार्थियों ने अन्य अधीनस्थ प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त की है.

उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान की ओर से संस्कृत साहित्य में सिविल सेवा की निशुल्क कोचिंग एवं मार्गदर्शन कार्यक्रम में प्रारम्भिक परीक्षा से लेकर साक्षात्कार तक की तैयारी कराई जाती है. संपूर्ण सत्र 10 माह का होता है. 10 माह का प्रशिक्षण 3 चरणों में संपादित किया जाता है. विशेषज्ञों की ओर से इसमें व्याकरण, भाषाशास्त्र, दर्शन, महाकाव्य, संस्कृत नाट्यशास्त्र, संस्कृत गद्य एवं पद्य आदि की पढ़ाई कराई जाती है. यूजीसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक या फिर समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके 21 से 35 वर्ष आयु के सभी वर्ग के अभ्यर्थी इस परीक्षा के पात्र हो सकते हैं.

कार्यक्रम की प्रवेश प्रक्रिया ऑनलाइन कराई जाएगी, जिसमें आवेदन पत्र भरने की तिथि 9 अगस्त से 5 सितंबर निश्चित की गई है. तृतीय सत्र के लिए सितंबर 2021 के अंत तक प्रवेश परीक्षा लखनऊ के विभिन्न केंद्रों पर कराई जाएंगी और अक्टूबर के अंत तक परिणामों की घोषणा कर दी जाएगी. ऐसे अभ्यर्थी जिन्होंने 2020-21 की संघ एवं राज्य सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण की है, उन्हें सीधे प्रवेश दिए जाने की व्यवस्था है. इसके अंतर्गत कुल 15 विद्यार्थी ही लिए जाएंगे. 

सभी विद्यार्थियों को कक्षा में 75 प्रतिशत उपस्थिति एवं उनके अध्ययन सत्र के अंतर्गत मासिक प्रगति रिपोर्ट के आधार पर प्रतिमाह रुपये 3000 की छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाएगी. प्रवेश परीक्षा में 100 प्रश्न द्विभाषीय (संस्कृत एवं हिंदी) होते हैं और 85 प्रश्न सामान्य अध्ययन के और 15 प्रश्न संस्कृत के सामान्य ज्ञान, व्याकरण और साहित्य से संबंधित होंगे. विद्यार्थी उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान की वेबसाइट या फिर यूपीएसएससीआईवीआई के लिंक पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं.

उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान निदेशक पवन कुमार ने बताया कि जन-जन तक संस्कृत को पहुंचाने और रोजगार के नए आयामों से जोड़ने के साथ देश की सर्वोच्च परीक्षाओं में भी संस्कृत को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है. संस्थान द्वारा लखनऊ में ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रशिक्षण केंद्र संचालित हैं. जरूरत पड़ने पर अन्य जनपदों मे भी इसकी शुरुआत की जाएगी. उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डॉ. वाचस्पति मिश्र ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी के संस्कृत भाषा के प्रति प्रेम और प्रदेश में संस्कृत के उन्नयन के लिए प्रयास तेजी से किए जा रहे हैं. इसके लिए गोरखपुर में भी देववाणी संस्कृत भाषा को रोजगार से जोड़ने का प्रयास किए जा रहे हैं. यहां सिविल सेवा प्रशिक्षण केंद्र की तर्ज पर एक और नया प्रशिक्षण केंद्र खुलने जा रहा है.

ज्ञात हो कि राज्य सरकार बहुत जल्द लखनऊ में स्थित उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के सिविल सेवा प्रशिक्षण केंद्र की तर्ज पर एक और नया प्रशिक्षण केंद्र गोरखपुर में शुरू करने जा रही है. यहां अभ्यार्थियों को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जाएगा. 15 दिनों या साप्ताहिक अंतराल में भौतिक रूप से (ऑफलाइन) दिल्ली और लखनऊ के संस्कृत साहित्य के विशेषज्ञ विशेष कक्षाएं लेंगे. सरकार की योजना पूर्वाचल में भी संस्कृत भाषा को रोजगार के साथ संबद्ध करके रोजगार उन्मुख बनाना है.




First Published : 19 Aug 2021, 09:45:53 AM






Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *