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होयसला मंदिरों में एक बुनियादी पारंपरिक दार्विडियन आकृति विज्ञान है, लेकिन मध्य भारत में व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली भूमिजा विधा, उत्तरी और पश्चिमी भारत की नागर परंपराओं और कल्याणी चालुक्यों द्वारा समर्थित कर्नाट द्रविड़ विधा का मजबूत प्रभाव दिखता है. वास्तुकारों ने विभिन्न प्रकार की मंदिर वास्तुकला से प्रेरणा ली और परिणामस्वरुप एक बिल्कुल नए ‘होयसला मंदिर’ स्वरूप का जन्म हुआ. (Twitter/All India Radio)