कुंदन कुमार/गया. पितृपक्ष के दिनों में गया का नजारा देखने को बनता है. देश-विदेश के श्रद्धालुओं के अलावा समाजसेवी भी गया जी पहुंचते हैं. श्रद्धालुओं के सहयोग में लगे रहते हैं. एक ऐसे ही समाज सेवी कैलाश चंद अग्रवाल हैं, जो पिछले 8 साल से पितृपक्ष के त्रयोदशी तिथि यानि पितृ दीपावली के दिन पूरे मंदिर को सजाने का जिम्मा उठा लिया है. कैलाश चंद अग्रवाल हैदराबाद के रहने वाले हैं. जब उन्होंने 10 साल पूर्व गया में पिंडदान करने आए थे, तो यहां के मंदिर में सजावट नहीं देखी. उसके बाद उनके मन में विचार आया और इच्छा जगी क्यों न विष्णुपद मंदिर को भी सजाया जाए. तब से वे लगातार विष्णुपद मंदिर को फूलों से सजाते हैं. इस दिन विशेष ऋंगार किया जाता है. 56 प्रकार के व्यंजन का भोग लगवाते हैं.
इस साल विष्णुपद मंदिर को 5 टन गेंदा और एक टन जूही के फूल से पूरे मंदिर और गर्भ गृह को ॠंगार किया गया था. विभिन्न प्रकार के फूलों की लड़ियों की अलग-अलग डिजाइन से मंदिर के मुख्य द्वार और गर्भगृह से सभाकक्ष के बाहरी परिसर को रंग-बिरंगे फूलों से आकर्षक ढंग से सजाया गया था. मंदिर के सभाकक्ष में गेंदे के फूल से अलग-अलग रंग की लड़ियां की सजावट देखते ही बन रही थी. मंदिर के गर्भगृह में सफेद रंग के सुगंधित पुष्प का जाल सा बिछा दिया गया था. इसके साथ ही छोटे रंग-बिरंगे सजावटी वल्ब से पूरा मंदिर जगमग कर रहा है. मंदिर को सजाने के लिए फूल और माली कोलकाता से मंगवाया जाता है और इस पर प्रत्येक वर्ष 5-6 लाख रुपये खर्च किए जाते हैं.
8 साल से कर रहे मंदिर का भव्य श्रृंगार
कैलाश चंद अग्रवाल ने बड़े ही विनम्र भाव से हाथ जोड़ते हुए कहा यह सब भगवान विष्णु़ की कृपा है. 2013 में पूर्वजों के पिंडदान के लिए गया आये थे. तभी उनके मन भगवान विष्णु के मंदिर में पुष्प सज्जा की इच्छा जगी थी. तब अपने लोगों से विचार-विमर्श के बाद पिछले 8 साल से वह गया में पितृपक्ष के समापन पर पितृ दिवाली के दिन पूरे मंदिर का भव्य श्रृंगार करवाते है. इस कार्य के बाद जो अध्यात्मिक आनंद व शांति प्राप्त होती है. उसे शब्दों में नहीं कहा जा सकता. इसी आनंद को प्राप्त करने के लिए श्याम परिवार के सदस्य प्रति वर्ष प्रतिबद्ध हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 14, 2023, 19:18 IST