हेमंत सोरेन की कल्याणकारी योजनाओं को आगे बढ़ाएंगे : चंपई सोरेन

शपथ ग्रहण समारोह राजभवन के दरबार हॉल में आयोजित किया गया और इस अवसर पर झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन के वरिष्ठ नेता उपस्थित थे. आदिवासी समुदाय के नेता चंपई सोरेन (67) राज्य के 12वें मुख्यमंत्री हैं. वह झारखंड के कोल्हान क्षेत्र से छठे मुख्यमंत्री हैं. कोल्हान क्षेत्र में पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां जिले शामिल हैं.

चंपई सोरेन ने शपथ ग्रहण करने के बाद कहा, ‘‘हम हेमंत सोरेन द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी योजनाओं को आगे बढ़ाएंगे. मैं झारखंड के विकास के लिए प्रतिबद्ध हूं.” झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को कथित भूमि धोखाधड़ी से जुड़े धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार रात गिरफ्तार कर लिया.

चंपई सोरेन ने कहा, ‘‘हम आदिवासियों और अन्य लोगों के सर्वांगीण विकास के लिए ‘जल, जंगल, जमीन’ की लड़ाई जारी रखेंगे.” चंपई सोरेन ने बृहस्पतिवार को राज्यपाल से सरकार बनाने के उनके दावे को जल्द से जल्द स्वीकार करने का आग्रह किया था, क्योंकि राज्य में ‘भ्रम’ की स्थिति बनी हुई थी और हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद प्रदेश में कोई मुख्यमंत्री नहीं था.

चंपई ने कहा, ‘‘विपक्ष ने झूठे प्रचार के आधार पर राज्य में अस्थिरता का माहौल बनाने की कोशिश की, लेकिन झामुमो-नीत गठबंधन की एकता ने ऐसे सभी प्रयासों को विफल कर दिया.” चंपई ने कहा, ‘‘पूरे देश ने देखा कि कैसे एक आदिवासी मुख्यमंत्री हेमंत बाबू को एक साजिश के तहत गिरफ्तार किया गया… हम इसका पर्दाफाश करेंगे….”

कांग्रेस की प्रदेश इकाई के प्रमुख राजेश ठाकुर ने कहा कि चंपई सोरेन को अपनी सरकार का बहुमत साबित करने के लिए 10 दिन का समय दिया गया है. कांग्रेस राज्य में झामुमो-नीत गठबंधन की सहयोगी पार्टी है. चंपई सोरेन ने शपथ लेने के तुरंत बाद आदिवासी नायकों बिरसा मुंडा और सिद्धो कान्हू को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक ताकतों के खिलाफ लड़ते हुए अपनी जान दे दी थी.

बाबा तिलका मांझी, सिद्धो कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो, बिरसा मुंडा और ताना भगत जैसे आदिवासी नायकों का नाम लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अस्तित्व की लड़ाई में उन्होंने कभी अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं किया. चंपई ने कहा, ‘‘हमारा प्रयास सभी शहीदों के आदर्शों को जमीन पर उतारना और राज्य के आदिवासियों, मूलवासियों, दलितों और आम नागरिकों के जीवन स्तर में बदलाव लाना होगा… हमारे पूर्वजों ने कभी इनसे समझौता नहीं किया.”

सरायकेला-खरसावां जिले में चंपई सोरेन के पैतृक गांव जिलिंगगोरा में लोगों ने जश्न मनाया तथा उनके रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों को ढोल और नगाड़ा जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों की धुन पर नाचते देखा गया.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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