हूती के हमलों से भारत सहित दुनिया की अर्थव्यवस्था को खतरा

खास बातें

  • गाजा पर इजरायल के हमले के खिलाफ हैं हूती विद्रोही
  • हूती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन हासिल
  • दुनिया का करीब 10 फीसदी व्यापारिक आवागमन लाल सागर के जरिए

नई दिल्ली :

यमन के हूती विद्रोहियों ने लाल सागर होकर गुजरने वाले जहाजों पर अपने हमले बढ़ा दिए हैं. हूती ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वे गाजा पर इजरायल के हमले के खिलाफ हैं और हमास का समर्थन कर रहे हैं. हूती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन हासिल है. ईरान हमास का भी बड़े पैमाने पर साथ देता रहा है, इसलिए इन हमलों के लिए अमेरिका सीधे तौर पर ईरान को जिम्मेदार ठहरा रहा है. यह हमले इसलिए अधिक चिंताजनक हैं क्योंकि इससे दुनिया की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है क्योंकि लाल सागर के रास्ते तेल, अनाज समेत बड़े पैमाने पर उपभोक्ता सामानों की आवाजाही होती है.

यह भी पढ़ें

दुनिया के व्यापारिक आवागमन का करीब 10 फीसदी लाल सागर के जरिए होता है. लगातार होते हमलों के बीच दुनिया की सबसे बड़ी शिपिंग कंपनी मर्स्क दक्षिणी लाल सागर से गुजरने वाले अपने जहाजों को अगले आदेश तक रुक जाने को कहा है. जर्मन शिपिंग कंपनी हापाग लॉयड के एक जहाज पर भी हमला हो चुका है और इस कंपनी ने भी लाल सागर से गुजरने वाले अपने जहाजों को सोमवार तक अपनी यात्रा रोक देने को कहा है.

तेल कंपनियों ने लाल सागर के रास्ते अपने टैंकर भेजना रोका

शिपिंग कंपनियों के साथ साथ बीपी जैसी तेल कंपनियों ने भी लाल सागर के रास्ते अपने तेल टैंकरों को भेजना रोक दिया है. माल ढुलाई वाले जहाजों और तेल टैंकरों को रोके जाने या फिर उन्हें दूसरे रास्ते से भेजने का मतलब है ढुलाई में अधिक खर्च और आपूर्ति में देरी होगा. लाल सागर को छोड़कर जो वैकल्पिक मार्ग है उसके लिए पूरा अफ्रीका घूमकर केप टाउन होकर आना होगा. इससे माल ढुलाई में लगने वाला समय 15 दिन और बढ़ जाएगा. इससे तेल ढुलाई की दरों में भारी इजाफा होगा. गोल्डमैन का आकलन है कि प्रति बैरल कच्चा तेल ढोने पर एक डॉलर और रिफाइंड प्रोडक्ट ढोने पर चार डॉलर अतिरिक्त लगेंगे.

ब्रेंट क्रूड के मुताबिक मध्य दिसंबर तक तेल की कीमतों में आठ फीसदी का इजाफा हो चुका है. जाहिर है कि लाल सागर के जरिए माल ढुलाई बंद होने पर दुनिया और भारत की अर्थव्यवस्था पर कितना बुरा असर पड़ेगा. 

खाड़ी देशों से तेल टैंकर लाल सागर के रास्ते पहुंचते हैं यूरोप 

लाल सागर के दो छोर पर स्थित स्वेज केनाल और बाब अल-मंडेब स्ट्रेट ऊर्जा आपूर्ति के बड़े रास्ते हैं. गोल्डमैन शैक्स के मुताबिक प्रतिदिन 70 लाख बैरल तेल बाब अल मंडेब स्ट्रेट से गुजरता है. अमेरिका से एशिया आने वाला लिक्विफाइड नैचुरल गैस स्वेज कैनाल के रास्ते से गुजरता है. इराक और सऊदी अरब जैसे खाड़ी देश से आने वाले टैंकर लाल सागर के रास्ते ही यूरोप पहुंचते हैं. 

रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से रूस पर कई तरह के प्रतिबंध हैं. इस वजह से यूरोप के देश पेट्रोल डीजल संबंधी जरूरतों के लिए पश्चिम एशिया पर और अधिक निर्भर हो गए हैं. 

गौरतलब है कि भारत तेल का बहुत बड़ा आयातक देश है. जिस तेल टैंकर एमवी केम प्लूटो पर ड्रोन से हमला हुआ वह सऊदी अरब से तेल लेकर मेंगलुरु जा रहा था. यानि कि हूती के हमलों से दुनिया में सप्लाई पर जो असर पड़ेगा वही भारत पर भी पड़ेगा. इससे तेल तो महंगा होगा ही इसका दूरगामी असर दूसरी चीजों पर भी पड़ेगा. हर चीज महंगी होगी. पहले कोविड और फिर रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया में सप्लाई चेन में जो समस्या आई है, हूती के हमलों ने इसे और बढ़ा दिया है.

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *