शिखा श्रेया/रांची. वैसे तो आपने साड़ी फैब्रिक और कई तरह के डिजाइन के देखे होंगे. लेकिन, आज हम आपको हम एक ऐसी साड़ी के बारे में बताने वाले हैं, जिसकी कलाकारी देखकर आप तारीफ किये बिना नहीं रह पाएंगे. दरअसल, हम बात कर रहे हैं झारखंड की राजधानी रांची के मोरबादी मैदान में लेकर ट्रेड एक्सपो मेले में लाये गए एक खूबसूरत साड़ी के बारे में. जिसमें रविंद्र नाथ टैगोर की खूबसूरत कविता का वर्णन है.
यह साड़ी खासकर जमशेदपुर से लेकर आए रमेश शाह ने कहा कि यह साड़ी लोगों के बीच खूब पसंद की जा रही है.यह लोगों के बीच आकर्षण केंद्र बना हुआ है. जो एक बार स्टॉल से पार आतता है. वह इस साड़ी के बारे में जानने की जरूर कोशिश करता है. क्योंकि, मैं खुद बंगाली हूं इसलिए रविंद्रनाथ टैगोर जी की कविताएं मुझे बेहद पसंद है तो मुझे लगा क्यों ना एक कविता को साड़ी पर दर्शाई जाए.
पाथेर पंचली कविता का है वर्णन
रविंद्रनाथ टैगोर ने कविता पाथेर पांचाली जो 1929 में लिखी गई थी. वह आज भी कविता की दुनिया में मास्टरपीस कहलाती है.इस कविता के जरिए बंगाल में गरीबों के चलते जी रहे लोगों की जीवनी को दर्शाया गया है बस इसी चीज को हमने भी अपनी साड़ी में उतारने की कोशिश की है. इस साड़ी में आप देखेंगे क ख ग घ जैसे अक्षर बंगाली में लिखे गए हैं. अक्षर के अलावा एक महिला का चित्र बना हुआ है जो अपनी झोपड़ी में बैठकर खाना बना रही है. वह काफी उदास है व साड़ी के पाड में झोपड़पट्टी दिखाई गई है. इसके अलावा एक नाव भी है क्योंकि बंगाल में अधिकतर लोग हुगली नदी के किनारे पहले रहा करते थे. पेड़ और नेचर को खूबसूरती के साथ दर्शाया गया है.
क्या कहता है यह चित्र
दरअसल, इस चित्र का मतलब यह है कि महिला काफी उदास है और वह यह सोचती है कि काश अगर मैं पढ़ लिख रही होती( जिसको के ख ग अक्षर से दर्शाया गया है) तो आज मुझे इतनी गरीबी में जीवन व्यतीत नहीं करना पड़ता. रमेश आगे बताते हैं कि आज यह दुर्दशा नहीं होती. आज मैं भी अपनी जिंदगी को सवार सकती थी. इस कविता के जरिए एक औरत के गरीबी व शिक्षा के महत्व को समझाया गया है. वहीं, साड़ी का फैब्रिक कॉटन है और यह खूबसूरत कविता कॉटन के ऊपर की गई है. बता दे कि कीमत 2500 से 3000 की रेंज में है. आपको और भी वैरायटी मिल जाएगी. अगर आप भी साड़ी लेना चाहते तो आ जाइए रांची के मोराबदी मैदान में चल रहे ट्रेड एक्स्पों में अधिक जानकारी के लिए आप इस नंबर पर 9334009936 संपर्क भी कर सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : March 4, 2024, 16:14 IST