हिंद महासागर में फंसे 185 रोहिंग्या: आखिरी बार इनकी बोट अंडमान-निकोबार आईलैंड के पास देखी गई, UN की अपील- जल्द रेस्क्यू किया जाए

17 मिनट पहले

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रोहिंग्या से भारत, बांग्लादेश, इंडोनेशियास मलेशिया, थाईलैंड और पाकिस्तान की सरकारें परेशान हैं। इनका कहना है कि रोहिंग्या की मौजूदगी से देश में अपराध बढ़ रहे हैं। - Dainik Bhaskar

रोहिंग्या से भारत, बांग्लादेश, इंडोनेशियास मलेशिया, थाईलैंड और पाकिस्तान की सरकारें परेशान हैं। इनका कहना है कि रोहिंग्या की मौजूदगी से देश में अपराध बढ़ रहे हैं।

हिंद महासागर में 185 रेहिंग्या मुस्लिम फंसे हुए हैं। इनकी बोट आखिरी बार अंडमान-निकोबार आईलैंड के पास देखी गई थी। शनिवार देर रात UN ने इन लोगों को जल्द से जल्द रेस्क्यू करने की अपील की। बोट पर शामिल लोगों में 88 महिलाएं और कई बच्चे हैं।

यह लोग कब से फंसे हुए हैं इसकी जानकारी नहीं मिल सकी है। इसे बारे में नहीं बताया गया है कि बोट कहां से निकली थी और कहां जा रही थी। यूनाइटेड नेशन्स ह्यूमन राइट काउंसिल (UNHRC) के मुताबिक हजारों रोहिंग्या मुस्लिम म्यांमार और बांग्लादेश से निकलकर मलेशिया और इंडोनेशिया जाते हैं। इस बोट के म्यांमार-बांग्लादेश से निकलकर मलेशिया-इंडोनेशिया जाने की आशंका जताई जा रही है।

10 दिसंबर 2023 को कई रोहिंग्या मुस्लिम इंडोनेशिया के क्रुएंग राया तट पहुंचे थे।

10 दिसंबर 2023 को कई रोहिंग्या मुस्लिम इंडोनेशिया के क्रुएंग राया तट पहुंचे थे।

एक व्यक्ति के मरने की आशंका
UNHRC के मुताबिक बोट पर सवार एक व्यक्ति की मौत हो गई है। कई लोगों की हालत गंभीर है। इन लोगों के पास खाना-पानी नहीं है। वक्त रहते मदद नहीं पहुंती तो समुद्र में इनके ज्यादा दिन जिंदा रहने की उम्मीद नहीं है।

UNHRC ने कहा- 2022 में करीब 2 हजार रोहिंग्या मुस्लमानों ने समुद्र के रास्ते साउथ एशियन कंट्रीज जाने की कोशिश की। इनमें 570 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। कई समुद्र में लापता हो गए।

रोहिंग्या मुस्लिम कौन हैं…
रोहिंग्या एक स्टेटलेस (राज्यविहीन) लोग है। इनमें ज्यादातर रोहिंग्या इस्लाम को मानते है। ये म्यांमार के रखाइन प्रांत से आते है। 1982 में बौद्ध बहुल देश म्यांमार ने रोहिंग्या की नागरिकता छीन ली थी। इससे उन्हें शिक्षा, सरकारी नौकरी समेत कई अधिकारों से अलग कर दिया गया। तब से म्यांमार में रोहिंग्या के खिलाफ हिंसा जारी है।

2017 में हुए रोहिंग्या के नरसंहार से पहले म्यांमार में उनकी आबादी करीब 14 लाख थी। 2015 के बाद से म्यांमार से 9 लाख से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थी भागकर बांग्लादेश और भारत समेत आसपास के अन्य देशों में जा चुके हैं। अकेले बांग्लादेश में रोहिंग्या की संख्या 13 लाख से ज्यादा है।

भारत में कितने रोहिंग्या
गृह मंत्रालय ने UNHRC के हवाले से बताया कि भारत में दिसंबर 2021 तक 18 हजार रोहिंग्या मुस्लिमों के होने की जानकारी मौजूद है। सरकार के मुताबिक, देश में रोहिंग्या विशेषकर जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद, दिल्ली-NCR, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मणिपुर में हैं।

रोहिंग्याओं से 6 देश परेशान​​​​​​​
रोहिंग्या मुस्लिम संकट बांग्लादेश, भारत समेत 6 एशियाई देशों की परेशानी का सबब बन गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक रोहिंग्याओं के चलते इन देशों में अपराध बढ़ रहे हैं। भारत में इनके तार घुसपैठ से लेकर आतंकी गतिविधियों तक जुड़े हुए हैं।

भारतीय पुलिस ने खुलासा किया था कि कट्टरपंथी पीएफआई अपने संगठन में भर्ती करने के लिए रोहिंग्या मुस्लिमों और बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए जरूरी आधार कार्ड बनवा रहा है। पुलिस के मुताबिक, पीएफआई नई पहचान बनाने के लिए रोहिंग्याओं और बांग्लादेशी घुसपैठियों को कर्नाटक समेत अन्य राज्यों में दिहाड़ी मजदूरों के रूप में भेज रहा है।

रोहिंग्याओं से सबसे ज्यादा परेशान बांग्लादेश की सरकार है। रोहिंग्या बहुल कॉक्स बाजार क्षेत्र में पिछले 5 साल में चोरी, हत्या, डकैती, दुष्कर्म, नशीले पदार्थों की तस्करी जैसी आपराधिक गतिविधियां 7 गुना हो चुकी हैं।

बांग्लादेश की स्थानीय आबादी वृद्धि दर 1% फीसदी है, जबकि रोहिंग्या की आबादी वृद्धि 5% है। इनकी बढ़ती अबादी के कारण सरकार द्वारा इनके लिए सुविधाएं जुटाने में परेशानी आ रही है।

उधर, थाईलैंड में रोहिंग्याओं के लिंक मानव तस्करी से जुड़े पाए गए। वहां के रास्ते मानव तस्करी मलेशिया तक हो रही है। आतंकियों को पनाह देने वाला पाकिस्तान रोहिंग्याओं को भी इसी रास्ते पर ले जा रहा है। इंडोनेशिया भी अपराधों में लिप्तता, खाने-रहने की परेशानी को देखते हुए अपने यहां रोहिंग्याओं को रखना नहीं चाहता।

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