‘हिंदुओं को बेचकर राज कर रहे हो’, भाजपा सांसद पर भड़क उठे स्वामी रंगनाथाचार्य, जानिए पूरा मामला

हाइलाइट्स

बीजेपी सांसद सुशील कुमार सिंह पर आक्रोशित हुए स्वामी रंगनाथाचार्य.
यज्ञ की पूर्णाहुति के बाद पहुंचे थे औरंगाबाद सांसद सुशील कुमार सिंह.
चार महीने पहले महंत पर हमला हुआ था, कार्रवाई नहीं होने से हैं नाराज.

गया. गत जुलाई माह में स्वामी रंगनाथचार्य पर कुछ बदमाशों के द्वारा कुटिया में ही हमला कर दिया गया था. इसको लेकर पुलिस में मामला भी दर्ज कराया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके बाद गत रविवार को औरंगाबाद से भाजपा सांसद समापन समारोह के मौके पर स्वामी का आशीर्वाद लेने पहुंचे थे. लेकिन, स्वामी सांसद को देखते ही असहज हो गए और कड़े तेवर में सवाल पूछते हुए सांसद को फटकार लगा दी. इसके साथ ही हिंदुओं के नाम पर सिर्फ राजनीति करने का आरोप भी लगा दिया.

उन्होंने अपने ऊपर हुए हमले पर पूछा कि क्या कुछ कार्रवाई हुई या सांसद से पूछ डाला. जब सांसद बोले कि हमने अधिकारियों से बात की है तो वे और भड़क उठे. उन्होंने कहा कि न कोई थाना, न कोई एसपी और न कोई डीएसपी तुम्हारा काम किया है. साथ ही स्वामी जी द्वारा सांसद पर हिंदू के नाम पर राजनीति करने का भी आरोप लगाया.

बता दें कि 29 जून से लेकर 28 अक्टूबर तक टेकारी के पंचानपुर स्थित रामेश्वर बाग में चातुर्मास अनुष्ठान सह श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा था, जो 28 अक्टूबर की शाम समापन हो गया. इसी दौरान 2 जुलाई की रात अनुष्ठान प्रवचन करने के बाद महंत स्वामी अपने समीप में बने कुटिया में सोने चले गए थे, जहां देर रात आधा दर्जन बदमाशों के द्वारा कुटिया में घुसकर जानलेवा हमला किया गया था. इस दौरान और भी कई लोगों को चोटें भी आईं थीं. महंत का सिर भी फट गया था जिसको लेकर काफी बवाल भी हुआ था.

वहीं इस मामले में स्थानीय थाना में अज्ञात के विरुद्ध मामला भी दर्ज कराया गया था, लेकिन अभी तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हो पाई है, जिससे महंत काफी नाराज चल रहे थे. बता दें कि औरंगाबाद का संसदीय क्षेत्र भी गया के टेकारी पड़ता है जहां समापन के दिन संसाद आशीर्वाद लेने 28 अक्टूबर की देर रात पहुंचे थे. लेकिन, सांसद को देखते ही महंत भड़क गए और अपने अंदर जो भी भरास था वह सारा सांसद पर निकल गया. हालांकि, इस दौरान सांसद ने सिर्फ हाथ जोड़कर विनम्रता से निवेदन करते रहे, लेकिन महंत एक न सुनी.

बहरहाल, सवाल अब यह उठता है कि क्या कोई महंत या सन्यासी या बाबा को किसी पर इस तरह के शब्दों का प्रयोग करना जायज है, वह अपने आक्रोश को दूसरे तरीके से भी विरोध कर सकते थे. वह अपने मर्यादा में रहकर भी बात कर सकते थे. वहीं, अब सोशल मीडिया पर भी याद वीडियो काफी तेजी से वायरल हो रहा है और सभी जगह पर महंत का शब्दों का घोर निंदा की जा रही है.

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