हिंदी में भी पढ़ सकेंगे दुनियाभर के सूफी-संत के कलाम, यहां मिलेगी फ्री सुविधा

विजय/नोएडाः अगर आप भी हमारे भारत के संत-साहित्य और सूफी साहित्य के बारे में पढ़ने का शौक रखते हैं. तो आपको इससे बेहतर विकल्प नहीं मिलेगा. आम तौर पर एक पाठक के रूप में हमें अलग-अलग जगहों से किताबें खरीदना और फिर उनको पढ़ना मुश्किल काम लगता है. लेकिन अब रेख़्ता फाउंडेशन के उपक्रम सूफ़ीनामा ने सूफ़ियों व संतों में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए एक ख़ास पहल की है. आप उनकी वेबसाइट (Sufinama.org) पर जाकर सूफ़ी और संत साहित्य से जुड़ी चीज़ें पढ़ सकते हैं. सूफ़ीनामा की वेबसाइट पर 1700 से अधिक संतों व सूफ़ियों का काव्य उपलब्ध है. इसके अलावा सूफ़ी ब्लॉग, सूफ़ी शब्दकोश और सूफ़ीवाद के इतिहास से संबंधित साहित्य भी वहां उपलब्ध है. सूफ़ीनामा की वेबसाइट पर अलग-अलग संभागों के तहत आप हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू तीनों भाषाओं में सूफ़ी व संत साहित्य की विभिन्न विधाओं के बारे में जानकारी ले सकते हैं.

ऐसा होता है कि बहुत बार बच्चे, युवा और बुजुर्ग हमारे देश के संतों और सूफियों के बारे में पढ़ने की इच्छा रखते तो हैं, लेकिन उन्हें पता नहीं होता कि वो कहां से शुरुआत करें. लेकिन, जनता की इस मुश्किल को सूफ़ीनामा ने आसान कर दिया है. अब आप उनकी वेबसाइट (Sufinama.org) पर जाकर इन सब चीज़ों के बारें में सही जानकारी लें सकते हैं. बताते चलें कि सूफ़ीनामा, रेख़्ता फाउंडेशन का उपक्रम है. जिसके मैनेजिंग एडिटर सुमन मिश्र ने बताया कि सूफ़ीनामा की स्थापना को 5 साल हो चुके हैं. तब से सूफ़ीनामा समाज व लोगों तक सूफ़ियों व संतों के संदेश को पहुंचाने की दिशा में लगातार काम कर रहा है. डिजिटल क्रांति के इस युग में लोग सोशल मीडिया हैंडल्स पर भी सूफ़ीनामा से जुड़ सकते हैं.

संत और सूफी द्वारा लिखे कलाम हिंदी में उपलब्ध
उन्होंने आगे बताया कि सूफीनामा अपने 5 साल के सफ़र में अब तक 19 विभिन्न सूफियों और साधु संतों की किताबें प्रकाशित कर चुका है. इनके बारे में ख़ास बात ये है कि इनमें से अधिकतर किताबें अब से पहले कभी भी हिंदी भाषा में प्रकाशित नही हुई थीं. मशहूर क़व्वाल नुसरत फतेह अली ख़ान पर सूफ़ीनामा ने वैश्विक स्तर पर पहली बार हिंदी में किताब प्रकाशित की है. इसके अलावा क़व्वाली के इतिहास, सूफ़ी शाइरी की किताबें भी सूफ़ीनामा ने प्रकाशित की हैं, जिनमें ग्रामोफ़ोन क़व्वाली, बहादुर शाह ज़फ़र और फूल वालों की सैर, दाराशिकोह द्वारा लिखित मज्म-उल-बहरैन इत्यादि किताबें शामिल हैं. सूफ़ीनामा की बात करें, तो इसकी 7 सदस्यीय टीम में विभिन्न भाषाओं के एक्सपर्ट और साहित्यकार शामिल हैं. जिनमें अब्दुल वासे, रय्यान अबुलउलाई, ज़ुबैर सैफ़ी और ज़ैनब ज़ैदी‌ शामिल हैं.

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137 देशों में पढ़ रहे लोग
सुमन मिश्रा का कहना है कि जब तक हम अपने साधु संत और सूफियों द्वारा लिखे गए कलाम के बारे में नहीं पढ़ेंगे तब तक हम गंगा-जमुनी तहज़ीब को नहीं पहचान पाएंगे. गंगा-जमुनी तहज़ीब को बनाए रखने का जो काम किया है. उसमें अहम भूमिका हमारे संत और सूफी की है. इसको पढ़ने के लिए हमने अपने पाठकों को और आसान रास्ता दिया. ताकि एक ही जगह पर हर तरह की जानकारी मिल सके. हमारी साइट को भारत ही नहीं पूरी दुनिया के करीब 137 देश से हर वर्ग के लोग पढ़ते हैं.

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