नई दिल्ली:
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय (Punjab and Haryana High Court) ने आंदोलनकारी किसानों को फटकार लगायी है. हाईकोर्ट ने किसानों को फटकार आंदोलन में बच्चों और महिलाओं की हिस्सेदारी को लेकर लगाया है. हाईकोर्ट ने कहा कि जिन बच्चों को स्कूलों में पढ़ना चाहिए, उन्हें हिंसा का सामना करना पड़ रहा है. अदालत ने यह टिप्पणी हरियाणा सरकार द्वारा दिखायी गयी एक बाद एक कई तस्वीरों को देखने के बाद की जिसमें आंदोलन में बच्चों को देखा गया.
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हरियाणा सरकार की तरफ से दिखाई गयी तस्वीरें
हरियाणा सरकार के वकील ने फरवरी, 2024 की विभिन्न तारीखों यानी 13, 14, 20 और 21 तारीख को सभा की तस्वीरें अदालत के सामने पेश किया. इन तस्वीरों में देखा गया कि कुछ युवा धारदार हथियार जिनमें तलवारें भी शामिल हैं के साथ प्रदर्शन कर रहे थे. उनके साथ उस भीड़ में महिलाएं भी थी और बच्चों को सामने परेड करवाया जा रहा था. तस्वीर देखने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और न्यायमूर्ति लपीता बनर्जी की खंडपीठ की तरफ से यह किसानों को फटकार लगायी गयी है. हाईकोर्ट ने “मामलों की दुखद स्थिति” पर अफसोस जताया और कहा कि “युवा दिमागों को हिंसक कृत्यों के संपर्क में लाने से ऐसे बच्चों के मनोविज्ञान पर हानिकारक प्रभाव पड़ेगा”.
शुभकरण सिंह की मौत की न्यायिक जांच के आदेश
उच्च न्यायालय ने खनौरी सीमा पर पिछले माह प्रदर्शनकारी किसानों और हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़प के दौरान शुभकरण सिंह की मौत के मामले में न्यायिक जांच का आदेश दिया है. इस मामले में याचिकाकर्ता अधिवक्ता उदय प्रताप सिंह ने बताया कि अदालत ने किसान शुभकरण सिंह की मौत की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने बताया कि मामले की जांच उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति और पंजाब तथा हरियाणा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक स्तर के दो अधिकारियों द्वारा की जाएगी.
किसानों का आंदोलन जारी है
फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गांरटी सहित विभिन्न मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के वास्ते संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएमए) ने ‘दिल्ली चलो’ मार्च का आह्वान किया है. सुरक्षा बलों द्वारा उनके मार्च को रोके जाने के बाद प्रदर्शनकारी किसान पंजाब और हरियाणा की शंभू और खनौरी सीमा पर रुके हुए हैं.
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