sarson saag khane ke fayde: आप कोई भी साग खाएंगे, वह डाइजेशन सिस्टम के लिए लाभकारी रहेगा. हर साग में विटामिन्स व मिनरल्स भरपूर मिलेगा, लेकिन इनमें सरसों का साग विशेष माना जाता है. सरसों का साग (Mustard Greens) पाचन सिस्टम के लिए शानदार तो है ही, यह हड्डियों (Bone health) को मजबूत बनाने में भी कारगर भूमिका अदा करता है. फूड एक्सपर्ट मानते हैं कि इस साग में दिल (Heart functioning) की फंक्शनिंग को भी शानदार बनाए रखने की विशेषता है. यह भारतीय साग अब पूरी दुनिया में भोजन के रूप में प्रयोग में लाया जा रहा है.
सरसों के साग से नॉन वेज फूड हानि होती है कम?
शायद ही कोई ऐसा भारतवासी होगा, जो सरसों के साग से परिचित न हो. इसका शानदारी साग तो बनता ही है, नॉनवेज एक्सपर्ट मानते हैं कि इसे गोश्त के साथ पकाया जाए तो यह नॉनवेज की निगेटिविटी कम कर देता है ओर उसे पेट के लिए मुफीद बना देता है. साग-गोश्त की जब बात होती है तो उसका मतलब सरसों के साथ नॉनवेज का संगम ही है. किसानों के लिए सरसों के साग की खेती डबल फायदे का सौदा है. जब इसकी फसल कच्ची होती है, तो साग के रूप में काम आती है और पकने के बाद जो बीज बनते हैं, उससे तेल (Mustard Oil) बनाया जाता है. वनस्पति विज्ञानी इस तेल को ऑलीव ऑयल से भी ज्यादा लाभकारी मानते हैं. भारत में तो सरसों के तेल के बिना रसोई की कल्पना भी नहीं की जा सकती, वहां इसकी ‘जबर्दस्त’ घुसपैठ.
आइए सरसों के साग की कुछ विशेषताएं जानें:
1. लेखक व भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बिश्वजीत चौधरी ने अपनी पुस्तक ‘VEGETABLES’ में जानकारी दी है कि प्रोटीन, मिनरल्स व विटामिन्स से भरपूर है सरसों के साग. इस साग में कैलोरी कम होती है तो शरीर के लिए महत्वपूर्ण पोषक विटामिन ए व विटामिन सी व के सहित कैल्शियम व आयरन भी पाया जाता है. यह फाइबर से भी भरपूर है. फूड एक्सपर्ट मानते हैं कि यही पोषक तत्व हड्डियों को मजबूत बनाने में भूमिका अदा करते हैं और फ्रैक्चर के जोखिम को कम कर देते हैं. फूड एक्सपर्ट महिलाओं को इस साग का नियमित सेवन करने की सलाह देते हैं, क्योंकि महिलाओं को बोन्स से जुड़ी समस्याएं जल्दी पकड़ती हैं.
2. अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) ने सरसों के साग को बेहद पोषक माना है और जानकारी दी है कि इसमें फोलेट (क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को दुरुस्त करने वाला अम्ल), कॉपर, जिंक और सेलेनियम (एंटीऑक्सीडेंट गुण) भी पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं. दिल्ली नगर निगम के चीफ मेडिकल ऑफिसर (आयुर्वेद) व मनोचिकित्सक व आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. आरपी पाराशर मानते हैं कि अपने विशेष गुणों के कारण ही भारत के आयुर्वेदाचार्यों ने इसे प्राचीन काल से भोजन में शामिल कर लिया है. यह बेहद पाचक है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को लगातार उत्तेजित किए रखता है, जिससे संक्रमण का खतरा टला रहता है. इसमें पाया जाने वाला विटमिन सी श्वसन संक्रमण को रोकने में मदद करता है. यह शरीर में पैदा होने वाली सूजन को भी रोकने में भूमिका अदा करता है.
3. सरसों के साग में पाए जाने वाले यही पोषक तत्व शरीर में कोलेस्ट्रॉल को कम रखते हैं, जिससे हृदय का स्वास्थ्य लगातार लगातार अनुकूल बना रहता है. असल में यह साग शरीर में अम्ल को रोकता है, जो हृदय के साथ-साथ लिवर के लिए भी हानिकारक है. अगर इसका नियमित सेवन किया जाए तो यह हृदय व लिवर के आसपास चिकनाई को जमने नहीं देता है. जब शरीर के यह दोनों अंग सुचारू काम करते रहेंगे तो बीमारियों का खतरा लगातार टलता रहेगा.
4. इस साग में विटामिन ए पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है, जो आंखों के लिए बेहद लाभकारी है. इसके अलावा इस साग में बीटा-कैरोटीन की भी मात्रा होती है. यह तत्व आंखों के लिए तो बेहद लाभकारी है ही, साथ ही आंख का रतौंधी (Night Blindness) व मोतियाबिंद (Catacact) से भी बचाव करता है. आयुर्वेद यह भी मानता है कि इस साग के सेवन से कैंसर के खतरे को टाला जा सकता है. सामान्य तौर पर सरसों के साग के कोई साइड इफेक्ट नहीं है, लेकिन ज्यादा मात्रा में खाए जाने पर यह लूजमोशन की समस्या पैदा कर सकता है.
सरसों का साग: इतिहास और सफर
सरसों के साग की उत्पत्ति भारत में ही मानी जाती है. आज से तीन हजार पूर्व लिखे गए भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ ‘चरकसंहिता’ में सरसों के साग और उसके तेल का वर्णन किया गया है और इन्हें शरीर के लिए गुणकारी बताया गया है. सोवियत संघ के वनस्पति विज्ञानी निकोलाई इवानोविच वाविलोव (वर्ष 1887-1943) का कहना है कि सरसों की उत्पत्ति भारत, चीन और यूरोप के किसी स्थान पर हुई थी. विश्वकोश ब्रिटानिका ने भी सरसों को सिंधु घाटी की सभ्यता के साथ जोड़ा है.
भारतीय अमेरिकी वनस्पति विज्ञानी प्रोफेसर सुषमा नैथानी के अनुसार सरसों का मूल केंद्र सेंट्रल एशियाटिक सेंटर है, जिसमें उत्तर पश्चिमी भारत, अफगानिस्तान, तजाकिस्तान और उजबेकिस्तान हैं. खाद्य इतिहासकार भी मानते हैं कि 3000 ईसा पूर्व सिंधु घाटी सभ्यता में सरसों के तेल का उपयोग किया जा रहा था. इसका अर्थ यही है कि सरसों का साग बेहद प्राचीन है. आज इस साग को कई देशों ने अपना रखा है. इसे सलाद के रूप में भी बेहद लाभकारी माना जाता है. पश्चिमी देशों में नॉनवेज के साथ इसे रोस्ट करने की परंपरा है.
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Tags: Food, Health tips, Winter
FIRST PUBLISHED : November 14, 2023, 15:21 IST