हाथ गंवाने के बाद भी नहीं मानी हार…यूट्यूब से सीखकर शुरू की केले की खेती

नीरज कुमार/बेगूसराय : हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है. आज भी भारत की लगभग 58 प्रतिशत आबादी की आजीविका का स्रोत कृषि है. ऐसे में अगर बिहार की खेती किसानी पर नजर डाली जाए तो यहां सबसे ज्यादा केले का उत्पादन होता है. अगर बात बिहार के बेगूसराय की जाए तो यह राज्य का सबसे बड़ा केला उत्पादक जिला है.

वहीं खेती के जरिए अच्छी कमाई करना चाहते हैं तो केला की खेती आपके लिए बेहतर विकल्प है. यूट्यूब पर वीडियो देखकर बेगूसराय का एक युवा ना सिर्फ मोटिवेट हुआ बल्कि केला की खेती भी करना शुरू कर दिया. सरोज पासवान की किस्मत केला की बागवानी से बदल गई. कल तक जमींदारों के खेत में काम कर 250 रुपए कमाने वाले सरोज आज 4 लाख से ज्यादा की आमदनी प्राप्त कर रहे हैं.

यूट्यूब से केला की बागवानी का मिला आइडिया

बेगूसराय जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर चेरिया बरियारपुर प्रखंड अंतर्गत विक्रमपुर पंचायत के लहरपुर वार्ड संख्या-4 के दलित मोहल्ले में रहने वाले स्व. रघुनंदन पासवान के पुत्र 59 वर्षीय सरोज पासवान गांव के जमींदारों के यहां खेतों में काम करते थे. इस काम के एवज में मिलने वाले 260 रूपये से दो बेटा और एक बेटी भरण-पोषण करने वाले सरोज की 2018 में गेहूं दमाही करने के दौरान हाथ कट गया. इसके बाद तकलीफों का दौर शुरू हो गया. इस बीच सरोज ने यूट्यूब के माध्यम से एक हाथ से होने वाली खेती के बारे में जानकारी प्राप्त कर केले की बागवानी शुरू की. अपने बाएं हाथ से मेहनत कर ढाई बीघा में केले की बागवानी कर रहे हैं.

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35 हज़ार खर्च कर 4 लाख से ज्यादा की होती है आमदनी

सरोज ने बताया कि ढाई बीघा खेत जमींदारों से सालाना 25 हजार लीज पर ले रखा है. इसमें 10 हज़ार सालाना खर्च कर भागलपुर से जी 9 और कृष्णापुरी वैरायटी का केला लाकर लगाए हुए हैं. हर साल छठ के समय में अपने सारे केले को बाजार में बेच देते हैं. ऐसे में 4 लाख से ज्यादा की आमदनी प्राप्त हो जाती है.

सरोज ने बताया कि पिछले 4 वर्षों से केले की बागबानी कर रहे हैं, लेकिन केले की बागवानी पर कितना सब्सिडी मिलती है, क्या योजना है इसके बारे में जानकारी ही नहीं है. ऐसे में जिला उद्यान विभाग जो दावा कर रहा है कि केला उत्पादक किसानों को 75 फ़ीसदी सब्सिडी दी जा रही है. हर प्रखंड में प्रखंड उद्यान पदाधिकारी नियुक्त है. इसके बाद भी किसानों तक लाभ नहीं पहुंच पा रहा है.

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