हाई सैलरी और PR वीज़ा : कैसे रूस में यूक्रेन के खिलाफ जंग लड़ने के लिए ठगे जा रहे हैं भारतीय नागरिक?

केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने गुरुवार को मानव तस्करी से जुड़े सिंडिकेट का खुलासा किया है. CBI ने गुरुवार को 7 शहरों के 10 ठिकानों पर छापेमारी की. इस दौरान सामने आया कि कई फर्मों ने अच्छी नौकरी, हाई सैलरी और पर्मानेंट रेज़िडेंट (PR) वीज़ा का लालच देकर एजेंट्स के जरिए युवा भारतीयों को रूस भेजा. वहां धोखे से उनसे कॉन्ट्रैक्ट में साइन करा लिए गए. ये कॉन्ट्रैक्स रूस की प्राइवेट आर्मी में शामिल होने के थे और रूसी भाषा में लिखे गए थे. नौकरी के लालच में भारतीय नागरिकों ने इसपर साइन कर दिए. फिर उन्हें आर्मी में शामिल कर लिया गया और हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी गई. कई भारतीयों को यूक्रेन के खिलाफ जंग के मैदान में उतारने की बात भी सामने आई है. CBI ने इस मामले में FIR भी दर्ज की है. कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है.

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विदेश मंत्रालय ने फिर जारी की एडवाइजरी

शुक्रवार को एक ब्रीफिंग में विदेश मंत्रालय ने भी तस्करी और इससे जुड़े जोखिमों को स्वीकार किया. विदेश मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी करते हुए कहा, “कई भारतीय नागरिकों को रूसी सेना के साथ काम करने के लिए धोखा दिया गया है… हम एक बार फिर भारतीय नागरिकों से अपील करते हैं कि वे रूसी सेना में सहायक नौकरियों के लिए एजेंटों द्वारा दिए गए प्रस्तावों से प्रभावित न हों. यह जीवन के लिए खतरे और जोखिम से भरा है.” 

हसीन सपने दिखाकर फंसाया

CBI की FIR में 17 एजेंटों और कंपनियों के नाम हैं. मानव तस्करी के शिकार युवाओं के परिवारों के साथ NDTV की बातचीत से पता चला है कि आरोपियों में फैजान खान उर्फ ​​बाबा का नाम भी है, जो ‘बाबा व्लॉग्स’ नाम से यूट्यूब चैनल चलाता है. 

फैजान खान उर्फ ​​बाबा के यू-ट्यूब चैनल पर अपलोड एक वीडियो में वह सेंट पीटर्सबर्ग में नजर आ रहा है. वीडियो की शुरुआत वह कहता है, “ये जगह फिनलैंड और एस्टोनिया शहर से 150 किमी से भी कम दूरी पर है. आप समझ सकते हैं कि जब आप इतने करीब होते हैं, तो यहां आकर क्या-क्या कर सकते हैं.”

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फैजान खान अपने व्यूअर्स को वीडियो के जरिए सेंट पीटर्सबर्ग की खूबसूरती भी दिखाता है. वह कहता है, “यहां डिलीवरी बॉय और रूशियन आर्मी में हेल्पर के रूप में भी जॉब्स हैं.”

कथित तौर पर युवाओं को बरगलाते हुए फैजान खान कहता है, “रशियन आर्मी में हेल्पर के तौर पर शामिल होना कोई रॉकेट साइंस यानी मुश्किल काम नहीं है. आपको तोप या बंदूकें नहीं चलानी हैं. और न ही वॉर फ्रंटलाइन में जाना है. हेल्पर के तौर पर आपका काम बिल्डिंग को खाली कराना, सामान बाहर निकालना या गोला-बारूद की रखवाली करना होगा. आपकी नौकरी एक हेल्पर या सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर होगी.”

खान युवाओं से कहता है कि उन्हें 3 महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी. इस दौरान हर महीने 40,000 रुपये का पेमेंट  किया जाएगा. जो आगे बढ़कर 1 लाख रुपये प्रति महीना हो जाएगा.

वीडियो में खान आगे बताता है, “इसका खास फायदा यह है कि आपको एक गवर्नमेंट ऑफिशियल कार्ड मिलेगा. आप एक अच्छी जगह पर रहेंगे और अच्छा खाना खाएंगे. एक अच्छी लाइफ जिएंगे. आपको हर जगह प्रियोरिटी मिलेगी. उस कार्ड के आधार पर आप शेंगेन वीजा पा सकते हैं. किसी दूसरे देश में जा सकते हैं या PR वीज़ा पा सकते हैं. रूसी सरकार की सोच यह है कि अगर आप उनका समर्थन करते हैं, तो वो आपको भी फायदा देंगे. वो आपको पीआर वीज़ा देंगे.” 

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खान ने अपने व्यूअर्स को भरोसा दिलाते हुए कहा, “अगर कोई ख़तरा होता या आपको फ्रंटलाइन पर रहना होता, तो मैं भी ऐसा नहीं करता. मैंने व्यक्तिगत रूप से सब कुछ साफ कर दिया है. अगर आपको युद्ध का हिस्सा बनना पड़ा, तो यह मेरे लिए भी एक समस्या होगी. आप बॉर्डर पर नहीं होंगे. आपको बस रूसी सेना की मदद करनी होगी. एजेंट ने कहा कि इन सब की फीस 3 लाख रुपये होगी. उनकी टीम लोगों को एयरपोर्ट से उठाएगी और हर चीज में उनकी मदद करेगी.”

ठीक इसी तरह हैदराबाद के मोहम्मद असफान को भी बेबकूफ बनाया गया. 30 साल के असफान की बुधवार को यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई में मौत की पुष्टि हुई थी. उनके परिवार ने कहा कि वह और उनके दो दोस्त यू-ट्यूब चैनल के जरिए फैजान खान के संपर्क में आए थे. रूसी सेना में हेल्पर की नौकरी का ऑफर देकर उन्हें मॉस्को ले जाया गया था.

CBI का केस

CBI ने गुरुवार को दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, तिरुवनंतपुरम, अंबाला, चंडीगढ़ और मदुरै के कई ठिकानों पर छापे मारे. एक मामला भी दर्ज किया गया. CBI ने अपनी FIR में लिखा कि अन्य एजेंटों ने भी इसी तरह की प्लेबुक का इस्तेमाल किया था.

FIR में कहा गया है, “उपरोक्त आरोपियों ने स्वयं और अपने एजेंटों के माध्यम से रूसी सेना (सुरक्षा गार्ड, सहायक) से संबंधित नौकरियां दिलाने के बहाने भारतीय नागरिकों को रूस में तस्करी की.”

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FIR के मुताबिक, “यह पता चला है कि रूस पहुंचने पर इन भारतीय नागरिकों के पासपोर्ट वहां के एजेंटों ने ले लिए या छीन लिए. उन्हें जंग लड़ने की ट्रेनिंग दी गई. रूसी सेना का यूनिफॉर्म और बैच भी दे दिया गया. फिर इन्हें रूस-यूक्रेन युद्ध क्षेत्र में फ्रंटलाइन पर तैनात किया जा रहा है. यह पता चला है कि युद्ध क्षेत्र में कुछ मानव तस्करी पीड़ित भी गंभीर रूप से घायल हो गए थे.”

CBI ने यह भी कहा कि कई भारतीयों को रूस में ‘संदिग्ध’ प्राइवेट यूनिवर्सिटी में एडमिशन का वादा करके उन्हें एजुकेशन वीज़ा पर रूस ले जाया जा रहा है. इसके बाद, उन्हें वीज़ा एजेंटों और कॉलेज अधिकारियों की दया पर छोड़ दिया जाता है.

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