आगरा. उत्तर प्रदेश के आगरा में फर्जीवाड़े का चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां हाईस्कूल फेल को भी बीए-बीएससी पास बनाया जा रहा था. यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों की सांठगांठ से एक गैंग फर्जी मार्कशीट बनाने का काम कर रहा था. इसकी एवज में लाखों रुपए वसूल किए जाते थे. एसटीएफ ने गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है.
एसटीएफ के सीओ उदयप्रताप सिंह ने बताया कि आगरा में लंबे समय से फर्जी मार्कशीट-डिग्री बनाने वाला गिरोह सक्रिय था. इसकी जानकारी मिलने पर इंस्पेक्टर हुकुम सिंह के साथ टीम को लगाया था. जांच के बाद गिरोह पकड़ा गया. गिरोह के आरोपी नेकराम से पूछताछ में पता चला कि साल 2007 में भी उसे लोहामंडी पुलिस ने पकड़ा था. तब भी वह फर्जी मार्कशीट के मामले में गिरफ्तार हुआ था. उसको शाहगंज और हरीपर्वत पुलिस भी पकड़ चुकी है. पुलिस की पूछताछ में आरोपी नेकराम ने बताया कि वह तेहरा में अपना कॉलेज चलाता था. अब उसका आपराधिक इतिहास खंगाला जा रहा है.
ऐसे चल रहा था फर्जीवाड़ा
यह गैंग दो तरीकों से फर्जीवाड़ा करता था. इसके सदस्य अलग-अलग विश्वविद्यालय और कॉलेजों में सक्रिय रहते थे. जो बीए, बीएससी, एलएलबी, डी-फार्मा, बी-फार्मा, बीएड आदि के बारे में जानकारी लेने आने वाले विद्यार्थियों को अपने झांसे में लेते थे. उनका अलग-अलग कॉलेज में फॉर्म भी भरवा देते थे. इसके बाद 1-2 लाख रुपए में फर्जी मार्कशीट दे देते थे. जब मार्कशीट की जांच होती, तो उसका कॉलेज में फॉर्म भरा होने की वजह से रिकॉर्ड निकल आता था.
25 हजार में हाईस्कूल फेल को बना रहे थे ग्रेजुएट
फर्जी मार्कशीट बनाने के दूसरे तरीके में गैंग सॉफ्टवेयर की मदद से मार्कशीट तैयार करता था. कोरी मार्कशीट पर हस्ताक्षर और मुहर लगाकर मिनटों में उपलब्ध करा देते थे. हाईस्कूल फेल को बीए-बीएससी की मार्कशीट देने की एवज में 25 हजार वसूल करते थे. मार्कशीट का उपयोग निजी कंपनियों में नौकरी के लिए हो होता है. इस गैंग के पकड़े जाने के बाद आगरा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर आशु रानी का बयान भी सामने आया है. उन्होंने कहा है कि मामले की जांच के लिए अलग से टीम बनाई गई है. विश्वविद्यालय के कर्मचारियों की यदि इस मामले में मिलीभगत सामने आती है, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल एसटीएफ की टीम ने गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है उनसे पूछताछ की जा रही है.
.
FIRST PUBLISHED : January 12, 2024, 10:41 IST