हाईकोर्ट के जज की पेंशन ₹15 हजार, अब सेना के इस नियम को लागू करने की मांग उठी

नई दिल्ली. इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक रिटायर जज ने ‘जिला जज सर्विस कोटा’ से प्रमोशन पाकर हाईकोर्ट में जज बनने के बाद रिटायर होने पर बार से सीधे ही हाईकोर्ट के जज बनने वाले जजों के बराबर ‘वन रैंक वन पेंशन’ की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में रिटायर सर्विस कोटा जजों के लिए वन रैंक वन पेंशन की मांग करने वाली एक याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट, केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकारों से प्रतिक्रिया मांगी है.

‘बार एंड बेंच’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने 19 फरवरी को रिटायर जज अजीत सिंह की याचिका पर नोटिस जारी किया. अजीत सिंह जिला जज से प्रमोशन पाकर हाईकोर्ट जज बने थे. जस्टिस अजीत सिंह को 2018 में उत्तर प्रदेश उच्च न्यायपालिका से हाईकोर्ट में जज बनाया गया था. 29 मार्च, 2023 को हाईकोर्ट के जज के रूप में रिटायर होने के बाद हर महीने उनको केवल 15,005 रुपये पेंशन मिलती है.

पेंशन में भेदभाव मनमाना
अपनी याचिका में उन्होंने केंद्रीय कानून मंत्रालय के उस पत्र को चुनौती दी है, जिसमें जिला न्यायपालिका (सेवा) से प्रमोशन पाकर हाईकोर्ट के जजों की सेवा की अवधि की परवाह किए बिना बार से पदोन्नत लोगों के लिए उपलब्ध पेंशन के लिए पात्र होने से रोक दिया गया है. उनकी याचिका में कहा गया है कि सेवा कोटा से हाईकोर्ट के जजों की पेंशन तय करने के लिए जिला न्यायपालिका में जजों के कार्यकाल को मनमाने ढंग से नहीं गिना जाता है. जबकि बार से नियुक्त जजों के मामले में बार में दस साल की अवधि को पेंशन निर्धारित करने के लिए बेंच में अनुभव के रूप में गिना जाता है.

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जिला न्यायपालिका के अनुभव को जोड़ा जाए
याचिकाकर्ता ने कहा कि जिला न्यायपालिका के जज के रूप में सेवा के कार्यकाल को ध्यान में रखते हुए ऐसा किया जाना चाहिए. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य मामले में कहा था कि रिटायर जिला जजों को पर्याप्त पेंशन नहीं दी जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि हाईकोर्ट के कुछ जजों को रिटायर होने के बाद पेंशन का भुगतान नहीं किया जा रहा है.

Tags: High court, Judges, Pension scheme, Supreme Court

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