हाईकोर्ट का अहम फैसला : कानूनन अधिग्रहित भूमि की सारी संपत्ति सरकार की, ध्वस्तीकरण रोकने की मांग खारिज

All property of legally acquired land belongs to the government

अदालत।
– फोटो : अमर उजाला।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि सरकार ने कानूनी प्रक्रिया पूरी करते हुए भूमि अधिग्रहण किया और अवार्ड घोषित कर कब्जा ले लिया है तो उस भूमि पर हुए निर्माण को हटाने के लिए किसी अलग कानूनी प्रक्रिया को अपनाने की जरूरत नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति एसक्यूएचआर रिजवी की खंडपीठ ने दीपक शर्मा की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। याची ने ग्रेटर नोएडा, दादरी के गांव तुसियान की अधिग्रहीत जमीन पर बनी छह दुकानों के ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने की मांग की थी।

याची अधिवक्ता का कहना था कि अर्जेंसी क्लॉज में 2006 में उसकी जमीन का अधिग्रहण किया गया। प्राधिकरण ने कब्जा भी ले लिया और अवार्ड भी घोषित कर दिया गया है। उसने अवार्ड व अधिग्रहण को चुनौती नहीं दी है। केवल 24 अप्रैल 2010 के शासनादेश के आधार पर अधिग्रहीत जमीन पर आबादी एरिया अलग करने की मांग की है। इसलिए बेदखली व उसके कब्जे में हस्तक्षेप से रोका जाए।

प्राधिकरण की अधिवक्ता अंजली उपाध्याय का कहना था कि अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। जिलाधिकारी गौतमबुद्धनगर द्वारा अवार्ड भी घोषित किया जा चुका है। प्राधिकरण ने जमीन अपने कब्जे में ले ली है। अब जमीन पर याची का कोई अधिकार नहीं है। याची का कहना था कि कानूनी प्रक्रिया अपनाकर ही बेदखल किया जाए। कोर्ट ने कहा कि कानून के तहत ही अधिग्रहण किया गया है। संपत्ति सरकार में निहित हो चुकी है। अलग से कानूनी प्रक्रिया की मांग भ्रामक है।

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