हांडी वाला ही नहीं, चंपारण का मटन इश्तू भी है काफी मशहूर, स्वाद ऐसा कि यूपी और नेपाल से खाने आते हैं लोग

आशीष कुमार/ पश्चिम चम्पारण.नॉन वेज की आपने कई वेराइटीज खाई होगी, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी वेराइटी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो चम्पारण के हांडी मटन और सीक कबाब की तरह मशहूर और जायकेदार है. खास बात यह है कि इसे भी चम्पारण में ही बनाया जाता है. इसलिए ये नॉन वेज डिश भी चम्पारण के मटन इश्तू के नाम से दुनिया में मशहूर है. आज हम आपको चम्पारण के उस खास जगह की जानकारी देने जा रहे हैं, जहां बनाए जाने वाले इश्तू का स्वाद लेने सिर्फ बिहार के विभिन्न जिलों से ही नहीं, बल्कि यूपी और नेपाल से भी लोग खींचे चले आते हैं. खास बात यह है कि यहां आपको स्वाद के साथ क्वालिटी और सही कीमत का भी फायदा मिलेगा.

मटन इश्तू के नाम से मशहूर

दरअसल, गौनाहा प्रखंड के जमुनिया में मटन की यह वेराइटी बनाई जाती है. वैसे तोयहां नॉन वेज की दर्जनों दुकानें हैं, लेकिन धनेश मीट हाउस ज्यादा फेमस है. दुकान मालिक धनेश की माने तो उनके यहां नॉन वेज की 5 वेराइटीज मटन इश्तू, ग्रेवी मटन, चिकन दो प्याजा, चिकन ताश, कबाब और ग्रेवी चिकन बनाया जाता है. खास बात यह है कि मटन इश्तू के बेहतरीन जायके लिए यह दुकान प्रसिद्ध है. धनेश ने बताया कि उनके यहां स्थानीय लोगों के साथ वीटीआर आने पर्यटक भी आते रहते हैं. इसके अलावा मोतिहारी, मुजफ्फरपुर, यूपी और नेपाल से भी लोग इश्तू का स्वाद लेने चले आते हैं. ऐसे में हर दिन कम से कम 50 से 65 किलो तक मटन की खपत सिर्फ इश्तू के रूप में हो होती है.

महज 70 रुपए से ले सकते हैं नॉन वेज का जायका

धनेश ने बताया कि वैसे तो मटन इश्तू की कीमत 800 रुपए प्रति केजी होती है. लेकिन आप इसका जायका महज 100 रुपए में ले सकते हैं. इसके अलावा चिकन की अन्य वेराइटीज के लिए भी आपको महज 70 रुपए ही खर्च करने होंगे. बेहतरीन स्वाद और कम कीमत की वजह से हर दिन कुल 100 से 120 किलो नॉन वेज की खपत आसानी से हो जाती है.

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